(2022) भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध- Essay on Indian Education System in Hindi

किसी भी चीज़ को सीखने की और उसका ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा लेना हमारे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा मनुष्य के सफल होने की एक शानदार कुंजी है। शिक्षा हमें नैतिकता और सदाचार सिखाती है। अमेरिका में की गई एक रिपोर्ट से पता चला कि, किसी भी मनुष्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति ज़्यादातर उसकी शिक्षा पर निर्भर करती है। इसलिए जिस देश में ज्यादा शिक्षित लोग होते है, उस देश की अर्थव्यवस्था भी काफी मजबूत होती है। इसके साथ-साथ उस देश की शिक्षा प्रणाली भी अच्छी होनी चाहिए, तभी वह देश हर तरह से शक्तिशाली बनता है।

 

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प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली

भारत में प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षण प्रणाली थी। उस समय शिक्षा का स्थान गाँवों और शहरो से दूर वनों के गुरुकुल में होता था और इसका संचालन ऋषि-मुनियों द्वारा किया जाता था। भारत के नालंदा और तक्षशिला विद्यालय भी इसी तरह के थे। भारत की शिक्षा प्रणाली उस समय इतनी अच्छी थी कि विदेशी लोग भी इन विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे।

इन विद्यालयों में छात्रों को विभिन्न विषयों की शिक्षा लेने के लिए गुरु के आश्रम में जाना पड़ता था। और जब तक वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर लेते, तब तक उनको अपने गुरु के साथ आश्रम में ही रहना पड़ता था। इसके साथ-साथ छात्रो को अपना काम खुद करना पड़ता था। इससे छात्रो को सबसे बड़ा फायदा यह होता था की उनके अंदर अहंकार बिल्कुल खत्म हो जाता था। इस तरह प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत ही जबरदस्त थी।

 

ब्रिटिश काल में भारत की शिक्षा प्रणाली

जब भारत को अंग्रेज़ो ने गुलाम बनाया था, तब से ही उन्होंने गुरुकुल प्रणाली को मिटाना शुरू कर दिया था। लॉर्ड थॉमस बबिंगटन माउ काउली 1830 में आधुनिक शिक्षा प्रणाली को भारत लाये थे। इसमें अंग्रेज़ो ने एक अलग ही शिक्षा प्रणाली का पालन करने वाले स्कूलों की स्थापना की। इसके अलावा उन्होने गुरुकुलों में पढ़ाए जाने वाले तत्त्वमसा, दर्शन और उपनिषद जैसे विषयों को अनावश्यक कर विज्ञान, गणित और इंग्लिश जैसे विषयों को लाया गया। यह विषय गुरुकुलों में पढ़ाए जाने वाले विषयों से काफी भिन्न थे।

इन सब की वजह से भारत की शिक्षा प्रणाली में अचानक परिवर्तन हुआ और छात्रों का ध्यान प्राचीन शिक्षा प्रणाली से हटकर अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली की ओर चला गया। यह हमारे लिए अच्छा बदलाव नहीं था। लेकिन अंग्रेज़ो की शिक्षा प्रणाली से एक चीज बहुत अच्छी हुई कि, इसमें लड़कियां भी शिक्षा लेने लगी और स्कूलों मे जाने लगी। लेकिन अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली से हमें कोई खास फायदा नहीं हुआ, क्योकि अंग्रेज़ों ने अपने लाभ के लिए इस शिक्षा प्रणाली को अपनाया था।

 

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भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली

15 अगस्त, 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब हमारे स्वतंत्रता सेनानी का ध्यान सबसे पहले अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर गया। क्योकि अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमारे देश के लिए अनुकूल नहीं थी। इसलिए, भारत में एक नई शिक्षा प्रणाली बनाने का फैसला हुआ। जिसमें अखिल भारतीय शिक्षा समिति और बेसिक शिक्षा समिति जैसी कई समितियों का गठन किया गया।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध

इन समितियों द्वारा नई शिक्षा प्रणाली में एक विशाल योजना बनाई गई, जिसके तहत देश में नए-नए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। वर्तमान शिक्षा प्रणाली से भारत में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ने लगा और साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई। इसमें महिलाओं की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया था। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत थी और महिलाओं की साक्षरता दर 64.6 प्रतिशत थी।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली से भारत को बहुत लाभ हुआ है, जिसे हम कभी नकार नहीं सकते। लेकिन इसके साथ-साथ इसमे कुछ कमजोरियाँ भी है।

 

वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष

दुनिया में हर चीज को समय-समय पर परिवर्तन की जरूरत होती है। क्योकि जब तक किसी चीज़ में बदलाव नहीं होता, वह चीज़ एक समय पर पुरानी हो जाती है। और हमारे आस-पास की चिज़े हमसे आगे बढ़ जाती है। इसी तरह भारत की शिक्षा प्रणाली में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया, जिससे आज के आधुनिक युग में हमारी शिक्षा प्रणाली काफी कमजोर मानी जाती है।

इसीलिए तो अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि, भारतीय शिक्षा प्रणाली को पूर्ण रूप से सुधार करने की आवश्यकता है। लेकिन हमने आज तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया। जबकि विश्व के कई विकसित देश अपने स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम को हर 2 साल में बदल देते है।

लेकिन भारत में बदलाव ना करने की वजह से हमारा पाठ्यक्रम बहुत पुराना हो गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा इतिहास देश के छात्रों को नहीं पता होना चाहिए। परंतु पाठ्यक्रम में कुछ प्रेक्टिकल विषयो को शामिल करना चाहिए जो छात्रो के जीवन में उपयोगी हो सकते है।

हमारे पास 19 वीं सदी का पाठ्यक्रम, 20 वीं सदी की शिक्षा प्रणाली और 21 वीं सदी के छात्र है। इस तरह पाठ्यक्रम और आधुनिक छात्रों के बीच एक बहुत बड़ा अंतर है। इसीलिए तो दुनिया के हर क्षेत्र में हमारे छात्र पिछड़ जाते है।

इसके अलावा भारत में दो प्रकार की शिक्षा प्रणाली है, सरकारी और निजी। इसमें अगर हम सरकारी स्कूलों की बात करें तो कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकांश राज्यों में सरकारी स्कूलों की हालत काफी खराब है। इसका मुख्य कारण यह है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार में दो अलग-अलग दल है। जिस वजह से इन दोनों के बीच तालमेल अच्छा नहीं होता। परंतु इससे छात्रो को नुकसान होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जीतने छात्र कक्षा 1 में दाखिला लेते है, उनमें आधे से भी कम छात्र नोकरी के लिए आवेदन करते है।

IIm, IIt जैसे कुछ शीर्ष विश्वविद्यालय को छोड़कर हमारी पढ़ाने की पद्धति लगभग हर जगह बहुत पुरानी है। एक शिक्षक कक्षा में आकर पुस्तक से पढ़ाता है और वर्ष के अंत में छात्र का मूल्यांकन किया जाता है। उसी के आधार पर छात्र का भविष्य तय होता है। हमारे देश में छात्रो की रटने की क्षमता को सराहा जाता है और तीन घंटे के पेपर से छात्रों की बुद्धिमत्ता का अंदाजा लगाया जाता है। यहां उनकी व्यावहारिक क्षमताओं से कोई लेना-देना नहीं है।

परंतु इससे न सिर्फ छात्रो का भविष्य खराब होता है, बल्कि छात्रों में परीक्षा का तनाव भी बढ़ता है। बढ़ते तनाव के कारण आज भारत में हर 1 घंटे में 1 छात्र आत्महत्या कर रहा है। जैसे एक स्कूल में अपनी परीक्षा स्थगित कराने के लिए बच्चे ने अपने ही दोस्त की हत्या कर दी और स्कूल की मासिक परीक्षा में फेल होने के कारण 4 छात्रों ने कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली। यह हमारी शिक्षा प्रणाली का दोष नहीं है तो और क्या है।

इन सब चीज़ों को देखते हुए हमें देश की शिक्षा प्रणाली के बुनियादी ढांचे और सामग्री में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। तभी हम देश में ऐसी घटनाओं को रोक सकते है।

 

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वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार के तरीके

गांधी जी ने शिक्षा का अर्थ समझाते हुए कहा था कि, शिक्षा यानि बच्चों मे शारीरिक, मानसिक और नैतिक शक्तियों का विकास करना है। न की उन्हें किताबी कीड़ा बनाना। लेकिन भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को देखते हुए हमें इसमें सुधार करने की बहुत आवश्यकता है। इसके लिए हमें सबसे पहले छात्रों के कौशल विकास पर ध्यान देना होगा और उनके अंकों और रैंक को महत्व देना बंद करना होगा। हमें छात्रो की संज्ञानात्मक और रचनात्मक सोच को कैसे बढ़ाए इसके बारे में सोचना होगा।

इसके अलावा हमें किसी भी विषय की गहरी समझ विकसित करने के लिए उसका व्यावहारिक ज्ञान बहुत जरूरी है। परंतु भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली सैद्धांतिक ज्ञान पर केंद्रित है। हमें इसे बदलना चाहिए और व्यावहारिक ज्ञान को अपनाना चाहिए। इसके साथ-साथ हमें अपने पाठ्यक्रम को भी समय के अनुसार बदलना चाहिए, क्योकि हमारा पाठ्यक्रम दशकों से समान है। जैसे वर्तमान में कंप्यूटर का युग है, इसलिए आज के समय में कंप्यूटर विषय स्कूलों में मुख्य विषयों में से एक होना चाहिए। देश के छात्रों को अच्छी शिक्षा देने के लिए अच्छे शिक्षण स्टाफ का होना भी बहुत जरूरी है।

परंतु हमारे देश के कई शिक्षण संस्थान कुछ रुपये बचाने के लिए उन शिक्षकों को नियुक्त करते है, जिनके पास छात्रो को पढ़ाने का कोई खास अनुभव और कौशल नहीं है। ऐसे शिक्षक कम वेतन लेकर छात्रो का भविष्य खराब करते है। हमारी शिक्षण संस्थानो को अपने इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। तभी हम अपनी वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार कर सकते है।

हमें छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कला, खेल और अन्य गतिविधियों को भी महत्व देना होगा। क्योकि मनुष्य को जीवन में सफल होने के लिए केवल शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। यदि हम इन सभी चीज़ों को अपना लें तो शायद वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार कर सकते है।

 

निष्कर्ष

अगर हमें भारत को विश्व के विकसित देशों में शामिल करना है, तो देश की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाना ही होगा। क्योंकि एक विकसित देश अपनी शिक्षा पर बहुत ध्यान देता है। इसके लिए हम सभी भारतीयों को डिग्री के पीछे न दौड़कर शिक्षा में व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी आज डिग्री देखे बगैर व्यावहारिक दृष्टिकोण वाले युवाओ को नियुक्त करती है। इसमें Facebook, Google और Microsoft जैसी बड़ी कंपनीया भी शामिल है। 


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FAQ

Q- भारतीय शिक्षा प्रणाली क्या है?

ANS- किसी भी चीज़ को सीखने की और उसका ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा लेना हमारे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा मनुष्य के सफल होने की एक शानदार कुंजी है। शिक्षा हमें नैतिकता और सदाचार सिखाती है।

Q- आधुनिक शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषता क्या है?

ANS- व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा आधुनिक शिक्षा प्रणाली की मुख्य विशेषताएं है।

Q- भारतीय शिक्षा आयोग के अध्यक्ष कौन थे?

ANS- डॉ दौलत सिंह कोठारी

Q- राष्ट्रीय शिक्षा नीति कब आई?

ANS- 1968 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई थी


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