आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (2022)- Essay on Adarsh Vidyarthi in Hindi

दोस्तो, आज हम आदर्श विद्यार्थी पर निबंध जानने वाले है। यह निबंध आपको स्कूल, कॉलेज और कई जगहो पर काम आने वाला है। हम सभी लोगो के मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा कि क्या हम एक आदर्श विद्यार्थी है या नहीं ? इसके साथ-साथ हम यह भी समझेगे कि कैसे एक आदर्श विध्यार्थी जीवन के सभी पहलुओ में सफलता हासिल कर सकता है। 

 

Table of Contents

आदर्श छात्र होना मनुष्य को जीवन में कैसे मदद करता है ?

सबसे पहले एक आदर्श छात्र अपने काम के प्रति व्यवस्थित और वफादार होता है। ऐसा छात्र हमेशा अपनी चीज़ों को ढंग से रखने की कोशिश करता है। ताकि जब भी किसी चीज़ की ज़रूर पड़े तो वह उनको तुरंत मिल जाती है।इससे एक आदर्श छात्र के जीवन में समय की बर्बादी नही होती है। ऐसे विद्यार्थी हमेशा अपने समय का सदुपयोग करते है।

ऐसे छात्रो को जीवन में कुछ नया सीखने की हमेशा भूख रहती है। इस भूख से ही आदर्श छात्र को जीवन में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। ऐसा छात्र हमेशा अपने माता-पिता, स्कूल और देश का नाम रोशन करने की कोशिस करता है। वह दूसरों की सेवा करने में और सत्य वचन बोलने में विश्वास करता है। एक आदर्श छात्र हर कार्य को पूरी ईमानदारी और एकाग्रता से करने की कोशिश करता है।

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ऐसे छात्रो को अनुशासन में रहना अच्छा लगता है। क्योकि उनको पता है कि सफल होने के लिए अनुशासन को दैनिक जीवन में लाना बहुत जरूरी है। इसके अलावा वह हमेशा बिना घमंड और अहंकार किए दूसरों की सहायता करने के लिए तैयार रहता है। वह अलग-अलग गतिविधियों में भी एक संतुलन को बनाए रखने की कोशिश करता है। ऊपर बताई गई सभी चिजे एक आदर्श छात्र अपने छात्र काल में करता है। जैसे-जैसे वह जीवन में आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे यह सभी चिजे उसको सफल बनने में काम आती है।

 

एक आदर्श छात्र की मुख्य विशेषताएं

  1. आदर्श विद्यार्थी की पहली मुख्य विशेषता कठोर परिश्रम है। वह अपने हर काम को पूरा मन लगाकर करता है। जिसकी वजह से उस छात्र के जीवन में सफल होने की संभावना ज्यादा होती है। 
  2. आदर्श विद्यार्थी की दूसरी मुख्य विशेषता सकारात्मकता है। वह अपने हर कार्य को सकारात्मक तरीके से सोचता है। ऐसा छात्र मुसीबत में होने पर भी सकारात्मक सोच रखता है। इसलिए तो उसे सफल होने से कोई मुसीबत नहीं रोक सकती है। 
  3. ऊर्जावान आदर्श विद्यार्थी की तीसरी मुख्य विशेषता है। हर सुबह वह एक नई ऊर्जा के साथ उठता है। ऊर्जावान रहने के लिए वह योगा, व्यायाम और अच्छा भोजन का सहारा लेता है। इसकी वजह से छात्र का मन पढ़ाई में अच्छी तरह से लगता है।
  4. आदर्श विद्यार्थी की चौथी मुख्य विशेषता है, धैर्यवान। भले ही कितना मुश्किल और कठिन काम हो, वह कभी भी अपने काम में जल्दबाजी नहीं करता है। इसलिए तो भविष्य में ऐसा छात्र एक बड़ा व्यक्ति बनता है। 
  5. सच्चाई और आज्ञाकारी आदर्श विद्यार्थी की पाँचवी मुख्य विशेषता है। एक आदर्श विद्यार्थी के जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थिति क्यो न आ जाए, परंतु वह सच्चाई का साथ नहीं छोड़ता है। इसके अलावा वह अपने बड़ों का आदर करता है। बड़ों द्वारा कही गयी बातों और उनकी आज्ञाओ का पालन करता है।
  6. आदर्श विद्यार्थी की छठी मुख्य विशेषता जिज्ञासु है। क्योकि ऐसा छात्र हमेशा कुछ नया सीखने और कुछ नया करने के लिए उत्सुक रहता है। वह नेतृत्व करने वाला होता है और आस-पास के सभी लोगो को साथ लेकर चलता है।
  7. आदर्श विद्यार्थी की सातवी मुख्य विशेषता अनुशासन है। हमेशा समय पर उठना, खाना, स्कूल जाना, खेलना और समय पर अपना हर कार्य करना एक आदर्श विद्यार्थी की निशानी है। वह हमेशा समय का सदुपयोग करता है, क्योकि उसे पता है कि अगर समय की कद्र नहीं की तो आगे जाकर बहुत पछताना पड़ेगा। 

 

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आदर्श विद्यार्थी के प्रमुख लक्षण 

अगर आपके आस-पास कोई ऐसा छात्र है, जिसके अंदर नीचे बताए गए लक्षण है तो समझना की वह एक आदर्श छात्र है। ईमानदार, भरोसेमंद, सकारात्मक, परिश्रमी, मेहनती, उदारता, सत्यता और आज्ञाकारिता जैसे गुण एक आदर्श विद्यार्थी के अंदर होने चाहिए। इसके अलावा भी हर काम के लिए उत्सुक और तैयार रहना, हर वर्ग के लोगो के साथ अच्छा आचरण और व्यवहार करना, समय का सदुपयोग करना, अच्छे से पढ़ाई करना और देश का अच्छा नागरिक बनना भी आदर्श विद्यार्थी के मुख्य गुण है। 

आदर्श विद्यार्थी के प्रमुख लक्षण को सरल भाषा में समझे तो जो छात्र अपनी शिक्षा पर अच्छे से ध्यान दे, सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करे, अनुशासन का पालन करे, अपने कर्तव्यों को समझे और आस-पास के सभी लोगों से अच्छा व्यवहार करे तो हम उसे आदर्श विद्यार्थी कह सकते है।

 

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हम कैसे एक आदर्श विद्यार्थी बन सकते है?

हमने यह तो जान लिया कि कैसे एक आदर्श विद्यार्थी जीवन में एक सफल व्यक्ति होता है। लेकिन अगर हम एक आदर्श विद्यार्थी नहीं है, तो कैसे खुद को एक आदर्श विद्यार्थी बना सकते है। इसके लिए हमें सबसे पहले आज्ञाकारी बनना होगा। अपने माता-पिता, गुरु और बड़े-बुजुर्ग लोगों की आज्ञा का पालन करना होगा। उनके द्वारा कही गई हर बात को अपनाना होगा। क्योकि अक्सर वह हमारे भले के लिए ही सोचते है। इसलिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

हमें दूसरे लोगो के प्रति प्रेम-दया की भावना रखनी है। चाहे कुछ भी हो जाए, हमें कभी किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए। अगर हम दूसरे लोगो के प्रति प्रेम-दया की भावना रखेंगे तो वह भी हमारे लिए प्रेम-दया की भावना रखेंगे। हमें सभी लोगो को एक समान भाव से देखना चाहिए। चाहे अमीर हो या गरीब, जमीनदार हो या किसान सभी लोगो का सम्मान करना चाहिए। इससे हमारे अंदर समानता की भावना पैदा होती है।

हमें समय के महत्व को समझना होगा, क्योकि आदर्श छात्र होने का पहला कदम ही समय का सदुपयोग करना है।पढ़ाई से लेकर खेल तक और भोजन से लेकर सोने तक हर चीज़ समय के प्रबंधन में होनी चाहिए। तभी हम अपने जीवन में आगे बढ़ सकते है। एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए आपको स्वच्छ रहना चाहिए और स्वास्थ्य भी अच्छा होना चाहिए। क्योकि जो व्यक्ति तन से स्वच्छ नहीं वह मन से क्या स्वच्छ होगा। और जिस व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उसका पढ़ाई-लिखाई में मन कैसे लगेगा।

स्वच्छ रहने के लिए आस-पास सफाई रखे और स्वास्थ्य को अच्छा करने के लिए व्यायाम को अपनाए। इसलिए तो हमें स्वच्छ और स्वास्थ्य इन दोनों को अपने जीवन में अपनाना है। इसके अलावा हमें अपनी क्षमताओं का परीक्षण करते रहना चाहिए, अच्छे दोस्त बनाने चाहिए और कुछ नया सीखने की हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए। इन सब चीज़ों के अलावा और भी कई चिज़े है, परंतु अगर आप इतनी चीज़ों को अपना लेंगे तो शायद हमें एक आदर्श विद्यार्थी बनने से कोई रोक नहीं सकता है।

 

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एक आदर्श छात्र के लिए माता-पिता और शिक्षक की भूमिका

जन्म के साथ ही कोई बच्चा आदर्श नहीं बन जाता है। उसके माता-पिता, गुरु और आस-पास के माहौल को देख कर ही बच्चा एक आदर्श व्यक्ति बनता है। और किसी भी देश का छात्र उस देश की संपत्ति से कम नहीं है। क्योकि एक छात्र के जीवन का विकास उस देश का विकास है। इसी कारण हमें भी छात्रो की मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और आधिभौतिक विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। बच्चो के इस तरह का ध्यान सिर्फ उसके माता-पिता और गुरु ही रख सकते है।

इसलिए एक बच्चे को आदर्श व्यक्ति बनाने में सबसे बड़ी भूमिका उसके माता-पिता और गुरु की है। माता-पिता का कर्तव्य है कि अपने बच्चो को स्कूली ज्ञान के साथ-साथ बाहरी ज्ञान भी दे। बाहरी ज्ञान से मतलब यह है कि उनके व्यक्तित्व को निखार ने की कोशिश करे। कई माता-पिता अपने बचपन के अच्छे ग्रेड लाकर पास होने की तस्वीरे बच्चो को दिखाते है। यानि की वह अपनी तुलना अपने बच्चे से करते है और अक्सर देखा गया है कि इससे कई बच्चे निराश हो जाते है।

लेकिन माता-पिता अगर अपने बच्चो को यह सिखाए की अगर हम कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से काम करे तो जीवन के हर सपने को पूरा कर सकते है। और एक शिक्षक भी छात्रो को व्यावहारिक शिक्षा दे जो असल जीवन में काम आने वाली है, तो शायद हम देश में आदर्श छात्रो की संख्या काफी तेजी से बढ़ा सकते है। इस तरह माता-पिता और शिक्षक दोनों एक छात्र के व्यक्तित्व को आकार देने और उसे आदर्श बनाने में समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

 

निष्कर्ष

जिस तरह हमें एक अच्छी और मजबूत इमारत बनाने के लिए उसकी नींव को मजबूत करना जरूरी है। उसी तरह हमें इमारत रूपी देश को मजबूत और विकसित करने के लिए नींव रूपी छात्रो का विकास करना जरूरी है। इसलिए अगर हम देश के छात्रो को मजबूत करेंगे तो हमारे देश रूपी इमारत भी बहुत अच्छी हो जाएगी। और अंत में इतना सब कुछ जानने के बाद शायद अब आप लोगो को पता चल गया होगा कि कैसे एक आदर्श विद्यार्थी जीवन के सभी पहलुओ में सफलता हासिल कर सकता है। (आदर्श विद्यार्थी पर निबंध)


FAQ

Q : आदर्श विद्यार्थी पर निबंध कैसे लिखें ?

ANS : इस आर्टिकल में हमने बहुत अच्छे तरीके से समझाया है की आदर्श विद्यार्थी पर निबंध कैसे लिखना है।

Q : एक आदर्श विद्यार्थी में कौन कौन से गुण होने चाहिए ?

ANS : आदर्श विद्यार्थी में ईमानदारी, मेहनती, परिश्रमी, सकारात्मकता, उदारता, सत्यता और आज्ञाकारिता जैसे गुण होने चाहिए।

Q : विद्यार्थी जीवन कैसे जीना चाहिए ?

ANS : विद्यार्थी जीवन को हमें खुशी के साथ जीना चाहिए, क्योंकि जीवन में खुशियां रहेंगी तो आसपास के लोग भी अच्छे होंगे।


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