(2022) भ्रष्टाचार पर निबंध – Essay on Corruption in Hindi

वर्तमान समय में दुनिया का हर देश भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है, जो किसी भी देश को अंदर से खोखला कर देती है। आज हमारे देश के सभी क्षेत्र भ्रष्टाचार की जपेट में आ चुके है। समाज के बड़े अधिकारियों से लेकर, सरकारी और प्राइवेट कर्मचारी, किसान और राजनीतिक नेता आदि सभी शामिल है। आज का आधुनिक व्यक्ति भ्रष्टाचार के आदि हो चुका है। लेकिन हमें भ्रष्टाचार को रोकना होगा, क्योंकि भ्रष्टाचार भी आतंकवाद जितनी ही खतरनाक समस्या है।

 

Table of Contents

भ्रष्टाचार का अर्थ

भ्रष्ट और आचार शब्द मिलकर भ्रष्टाचार शब्द का निर्माण हुआ है। मनुष्य जब अपने निजी स्वार्थ और इच्छाओं को पूरा करने के लिए दूसरों को कष्ट पहुँचाता है उसे सरल भाषा में भ्रष्टाचार कहते है। भ्रष्टाचार एक ऐसा कार्य जिसे मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए समाज के मूल्यों को दाव पर रख देता है। वर्तमान भारत में मुनाफाखोरों, राजनेताओं और चोर बाज़ारियों के लिए इस शब्द का बहुत उपयोग किया जा रहा है।

आज हमारे देश में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार न पहुंचा हो। इससे हम अंदाजा लगा सकते है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी है। कई लोग भ्रष्टाचार की संज्ञा राजनेताओं के दुव्यवहार से देते है। नेताओ को जो सत्ता मिली है, उसका इस्तेमाल वे अपना निजी काम पूरा करने में करते है। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल नाम की अंतरराष्ट्रीय सरकारी संगठन ने भ्रष्टाचार के लिए एक रिपोर्ट तैयार किया था, जिसमें भारत 78 पायदान पर था।

 

भ्रष्टाचार का इतिहास

भ्रष्टाचार वर्तमान में होने वाली समस्या नहीं है। यह कई सदियो से चली आ रही है। जैसे अंग्रेज़ो ने पूरी दुनिया के 90 प्रतिशत देशों को अपने कब्जे में ले लिया था। इसकी मुख्य वजह यह थी कि कुछ लोग पैसो के लिए अपने देशो के साथ गद्दारी करते थे। इसके अलावा कई राजा अपने साम्राज्य को बचाने के लिए सही या गलत में फर्क नहीं करते थे। इस तरह भ्रष्टाचार का इतिहास बहुत पुराना है।

 

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भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार

भ्रष्टाचार के मुख्य तीन प्रकार है। रिश्वत की लेन-देन, चुनाव में घोटाला और टैक्स चोरी।

 

रिश्वत की लेन-देन

सरकारी कार्यालय में अक्सर यह देखा जाता है कि कुछ भी काम करवाने के लिए चपरासी से लेकर उच्च कर्मचारी तक हमें पैसे देने पड़ते है। जबकि उन्हें सरकार द्वारा मासिक वेतन दिया जाता है। लेकिन फिर भी कुछ लोग जल्दी काम करवाने के लिए उन्हें पैसे देते है और यहीं से भ्रष्टाचार की शुरुआत होती है।

 

टैक्स चोरी

दुनिया के हर देश में नागरिक को एक निर्धारित पैमाना यानि टैक्स सरकार को देना पड़ता है। लेकिन इसमें भी कुछ लोग सरकार को सही विवरण न देकर टैक्स की चोरी करते है। टैक्स चोरी के कारण ही देश में काला धन का प्रमाण बढ़ता है। इसे रोकना हमारे देश के लिए बहुत जरूरी जरूरी है।

 

चुनाव में घोटाला

हमारे देश में अक्सर देखा जाता है कि जब भी देश में चुनाव का समय आता है, तो राजनेता सरेआम लोगों को ज़मीन, पैसे, मादक पदार्थ और उपहार देकर वोट खरीद ने की कोशिश करते है और सफल भी होते है। हमारे देश में इससे बड़ा भ्रष्टाचार और कोई नहीं है। क्योकि जब ऐसे नेता सरकार में होंगे तो यह भ्रष्टाचार जरूर करेंगे।

इसके अलावा भी समाज के हर छोटे-बड़े क्षेत्रों में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। जैसे कि अवैध मकान का निर्माण करना, राशन में मिलावट करना, स्कूल और अस्पताल में अत्यधिक फीस लेना आदि सभी भ्रष्टाचार है।

 

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भ्रष्टाचार के कारण

मनुष्य को जीवन में जितना मिला है, उससे वह कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। क्योकि मनुष्य की इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकतीं है। वह हमेशा लालच में रहता है और इसी लालच कि वजह से भ्रष्टाचार फैलता है। देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और सामाजिक असमानता के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

वर्तमान में मनुष्य की मानसिकता ऐसी हो गई है कि यदि उसके पास किसी चीज की कमी होती है, तो वह भ्रष्टाचार और गलत कार्यों की ओर बढ़ता है। इसके साथ-साथ दुनिया के सभी मनुष्य अपने जीवन में भौतिक विलासिता और ऐशो-आराम चाहता है। इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहता है। इससे भी कई लोग भ्रष्टाचार को अपनाते है।

सामाजिक असमानता के कारण भी भ्रष्टाचार को शक्ति मिलती है। इसलिए तो एक कवि ने लिखा था कि जिस देश में परिजनों का लाभ और बाकियों का पक्षपात होगा, वहां भ्रष्टाचार जरूर फैलेगा। इसके अलावा पद-प्रतिष्ठा, आर्थिक स्थिति के कारण भी मनुष्य भ्रष्टाचार को अपनाता है। क्योकि कई लोग समाज में अपनी प्रतिष्ठा पाने के लिए धन को ही सब कुछ मानते है।

 

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भ्रष्टाचार के प्रभाव

एक भ्रष्ट व्यक्ति बहुत आसानी से भ्रष्टाचार करता है। उसे किसी प्रकार की कठिनाई और परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन जो ईमानदार व्यक्ति है उनको आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक ओर नैतिक यातनाओ का सामना करना पड़ता है।

एक भ्रष्टाचारी मनुष्य हमेशा अपने स्वार्थ को देखता है। लेकिन जब मनुष्य केवल अपने स्वार्थ के लिए काम करे तो वह पूरी तरह से अहंकारी बन जाता है और कामवासना में लग जाता है। उसके बाद वह सही और गलत में कोई फर्क नहीं करता। ऐसा व्यक्ति धर्म और कर्म को छोड़कर नास्तिक जैसे काम करता है। उसके अंदर करुणा और सहानुभूति जैसी कोई भावना नहीं रहती है।

भ्रष्टाचार के कारण भारत में कई खाध कंपनियों का सामान इतना खराब आता है कि खाने लायक भी नहीं होता। लेकिन फिर भी सरकारी अधिकारी कुछ पैसो के लिए इन कंपनी की चीज़ों को पास कर देते है। लेकिन इसका प्रभाव अक्सर हम जैसे सामान्य लोगो को भुगतना पड़ता है। आज हमारा देश टैक्स चोरी के कारण भयानक आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहा है। अन्य विकसित देशों की नजर में हमारे भारत की प्रतिष्ठा दिन-ब-दिन कम होती जा रही है।

आज ईमारत और पुल बनाने वाले कॉन्ट्रेक्टर से लेकर ढोंगी बाबा तक चारों तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। जब पुल गिर जाता है तो हम आम लोग ही मारे जाते है और पाखंडी बाबा की वजह से ही हमारी मां-बहनों के सम्मान पर सवाल उठते है। भ्रष्टाचार की वजह से आज अमीर-गरीब के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।

 

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भारत में हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार के घोटाले

  • हमारे देश में अब तक कई भ्रष्टाचार के घोटाले हो चुके है। लेकिन हम यहां भारत के सबसे बड़े घोटाले की बात करेंगे। इसमें सबसे पहला घोटाला 1980 में बोफोर्स घोटाला हुआ था। इसमें करीब 100 से 200 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ था।
  • इसके बाद 1990-91 में दो घोटाले हुए थे, एक था चारा घोटाला जिसमें 1,000 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ और दूसरा था हवाला घोटाला जिसमें 100 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ था।
  • फिर हर्षद मेहता ने 1992 में 5000 करोड़ का और केतन पारेख आईटी कंपनि ने 2002 में 20,000 करोड़ का भ्रष्टाचार किया था।
  • फिर आया 2008 जिसमें अब तक का सबसे खतरनाक और सबसे बड़ा घोटाला हुआ। इस घोटाले का नाम 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें लगभग 1,76,000 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ था।
  • उसके बाद 2009-2010 में सत्यम घोटाला 14,000 करोड़ का और राष्ट्रमंडल खेलों में 70,000 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ था।
  • 2012 में भी दो घोटाले हुए थे। पहला था वक्फ बोर्ड भूमि घोटाला जिसमें 50,000 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ था। और दूसरा था भारतीय कोयला आवंटन घोटाला जिसमें 1,86,000 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ था।

 

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भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय

भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को सबसे पहले भ्रष्टाचार निवारण बिल में संशोधन करना चाहिए और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए। जिससे की भ्रष्ट लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।

इसके साथ-साथ सरकारी कर्मचारियो का वेतन बढ़ाना चाहिए, क्योकि इससे कर्मचारि भ्रष्टाचार की ओर नहीं बढ़ेंगे। भ्रष्टाचार को देश से निकालने के लिए आम जनता को जागरूक बनना पड़ेगा। भले ही हमारा कोई कार्य न हो, लेकिन हमें कभी भ्रष्टाचार का साथ नहीं देना चाहिए। बल्कि हमें इसका जमकर विरोध करना चाहिए।

हमारे देश के कई सरकारी कार्यालयो में बहुत कम आधिकारी नियुक्त किए जाते है। इससे कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है और किसी भी कार्य को करने में समय लगता है। लेकिन काम जल्दी करवाने के लिए लोग कर्मचारियों को रिश्वत देते है। रिश्वत देने वाले लोगों का काम जल्दी हो जाता है और जो लोग रिश्वत नहीं दे पाते उन्हें अपना काम पूरा करने में कई महीने लग जाते है।

हमें प्रशासनिक जीतने भी कार्य है उनमें पारदर्शिता लानी होगी। इसके लिए हमें चुनाव में सही उम्मीदवार को जिताना होगा। इसके अलावा हमें भ्रष्ट लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी करना चाहिए। ताकि समाज का डर भी भ्रष्टाचारियों को डरे और कुछ हद तक भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

 

निष्कर्ष

आज भ्रष्टाचार की वजह से देश की आर्थिक स्तिथि डूबने के कगार पर है। और जब तक हम भ्रष्टाचार को जड़-मूल से खत्म नहीं करेंगे तब तक देश की उन्नति नहीं हो सकती है। हमें भी देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यह हमारा कर्तव्य है।


FAQ

भ्रष्टाचार का मुख्य कारण क्या है ?

तेजी से बढ़ रही जनसंख्या, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और सामाजिक असमानता भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारण है। इसके अलावा मनुष्य लालची है, क्योकि जीवन में उसे जितना भी मिले उससे वह कभी संतुष्ट नहीं हो सकता है। इसलिए लालच की वजह से भ्रष्टाचार फैलता है।

भ्रष्टाचार को कैसे रोका जा सकता है ?

हमने इस आर्टिकल में कई ऐसे उपाय बताए है, जिससे भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।

भ्रष्टाचार कितने प्रकार का होता है ?

3 प्रकार होता है। रिश्वत की लेन-देन, टैक्स चोरी और चुनाव में घोटाला.


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