(2022) घरेलू हिंसा पर निबंध- Gharelu Hinsa Par Nibandh

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दुनिया में अगर महिलाओ को सबसे ज्यादा कोई देश सम्मान देता है, तो वो भारत है। क्योकि हमारा भारत परंपराओ और संस्कृतिओ का देश है। हमारे यहा महिलाओ को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। लेकिन फिर भी भारत में क्यों महिलाओं के खिलाफ अपराध दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे है। उनके साथ ना सिर्फ घर के बाहर बल्के घर के अंदर भी घरेलू हिंसा के अपराध हो रहे है। आए दिन हम दैनिक समाचार में देखते है कि, एक दुल्हन को दहेज के लिए घर में ही मार दिया गया।

परंतु महिलाओ के साथ-साथ पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार है। इसके बारे में भी हम अक्सर दैनिक समाचार में देखते है कि, एक बूढ़े व्यक्ति ने संपत्ति के विवादो से बाज आकर आपघात किया या पिता ने गुस्से में आकर अपने ही बेटे की हत्या करदी। लेकिन कुछ रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू हिंसा से सबसे ज्यादा महिलाए परेशान है।

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घरेलू हिंसा क्या है?

घरेलू हिंसा को साधारण भाषा में समजे तो, घर में ही किया जाने वाला एक प्रकार का हिंसात्मक व्यवहार। इसमे घर के कोई एक सदस्य को बाकी के सदस्यो द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया जाता है। घरेलू हिंसा का मुख्य उदेश्य दूसरे व्यक्ति को काबू करना या अपनी इच्छाओ को पूरी करना होता है।

इसमे ज़्यादातर महिलाऐ शिकार होती है। इसलिए राज्य महिला आयोग के अनुसार यदि परिवार का कोई व्यक्ति अगर महिला के साथ मारपीट या अन्य रूप से प्रताडित करे तो वह महिला घरेलू हिंसा का शिकार कहलाएंगी। संयुक्‍त राष्‍ट्र जनसंख्‍या कोष की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल विवाहित महिलाओ में से दो-तिहाई महिला घरेलू हिंसा की शिकार है।

घरेलू हिंसा पर निबंध

महिलाओं की तुलना में पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा कम है, परंतु पश्चिमी देशों के कुछ भागो में पुरुष घरेलू हिंसा ने एक घातक रूप ले लिया है। जैसे कुछ महीनो पहले चंडीगढ़ और शिमला में कई पति ने इकट्ठा होकर अपनी पत्नियों और परिवार द्वारा हो रहे घरेलू हिंसा के विरोध में आवाज़ उठाई थी। इस तरह वर्तमान में पुरुषों के लिए भी एक कानून बनाने की आवश्यकता है।

महिलाओं और पुरुषों के अलावा सामान्य बच्चे भी घरेलू हिंसा के शिकार होते है। घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओ के बाद दूसरा स्थान बच्चो का है। जिसमे माता-पिता, शिक्षक और पड़ोसी लोगो द्वारा बच्चो पर मानसिक और शारीरिक हिंसा होती है। इस तरह मनुष्य का हर वर्ग घरेलू हिंसा से परेशान है। परंतु घरेलू हिंसा से सबसे अधिक महिलाओ को सताया जाता है, इसे कोई नकार नहीं सकता।

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घरेलू हिंसा के मुख्य कारण

वर्तमान समय में दहेज घरेलू हिंसा का मुख्य कारण है। जब एक महिला से मांगी हुई चिजे दहेज में नहीं मिलती तो पुरुष और उसका परिवार महिला के साथ मारपीट करता है। उसको हर तरह से नुकसान पहोचाने की कोशिश करता है। कई जगहो पर दहेज के लिए महिलाओ को जिंदा जलाए जाने की खबरें भी आपने समाचार में देखि होगी।

कई बार पति की मृत्यु के बाद परिवार द्वारा उचित भोजन, कपड़े और अन्य चीज़ों से वंचित करके महिलाओ को परेशान किया जाता है। आज के समय में विधवाओं के खिलाफ इस तरह की घरेलू हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है।

इसके अलावा पुरुषो की मूर्खतापूर्ण मानसिकता भी घरेलू हिंसा का एक बड़ा कारण है। पुरुषो को लगता है कि, महिलाएँ उनसे शारीरिक और भावनात्मक रूप से बहुत कमजोर होती है। इसीलिए अगर उनके साथ हिंसा करेंगे तो वह दब जाएगी। ऐसे पुरुष महिलाओं को अपने नियंत्रण में रखते है। जब विवाहित संबंधों में समस्या आती है, तब भी पुरुष द्वारा महिलाओ को सताया जाता है।

कई बार पुरुष अपनी आमदनी से घर को चलाने में सक्षम नहीं होता, जिसकी वजह से पुरुषों को भी घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है। पत्नि या परिवार वालो की जरूरतों को पूरा ना कर पाने की वजह से भी पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार होता है।

जब कोई बच्चा पढ़ाई में खराब प्रदर्शन करता है, तब उसके विरुद्ध घरेलू हिंसा होती है। इसके अलावा पड़ोस के बच्चों की बराबरी की वजह से भी बच्चो के साथ घरेलू हिंसा की जाती है।

बूढ़े माता-पिता की दवाई या अन्य खर्चे जब बढ़ने लगते है, तब उनके ही बच्चे उन पर पैसे खर्च करने से झिझकते है। इसकी वजह से बूढ़े माता-पिता भी घरेलू हिंसा का शिकार होते है। कई बार बच्चे इनसे छुटकारा पाने या उनकी संपत्ति हथियाने के लिये उनको मार भी देते है। इस तरह मनुष्य का हर वर्ग घरेलू हिंसा से परेशान है।

घरेलू हिंसा के प्रकार

घरेलू हिंसा के मुख्य चार प्रकार है। शारिरिक हिंसा, भावनात्मक हिंसा, लैंगिक हिंसा और आर्थिक हिंसा।  

  • भावनात्मक हिंसा

महिला के चरित्र पर उंगली उठाना, दहेज लाने के लिए मानसिक त्रास देना, हर समय उसका अपमान करना, बार-बार अपमानजनक टिप्पणी करना, पुत्र ना होने पर परेशान करना, घर से बाहर ना निकलने देना, नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करना, महिला की पसंदीदा व्यक्ति से शादी ना कराना या किसी और व्यक्ति से शादी कराने के लिए उसे मजबूर करना या अन्य किसी प्रकार का मौखिक दुर्व्यवहार भी भावनात्मक हिंसा में शामिल है।

  • शारीरिक हिंसा

किसी महिला के साथ मारपीट करना, उन्हे डराना या धमकाना यह सभी चिजे शारीरिक हिंसा में शामिल है। इसके अलावा भी अगर किसी अन्‍य रीत से महिला को शारीरिक पीड़ा या नुकसान पहुंचाए तो यह भी शारीरिक हिंसा में शामिल होगा।

  • लैंगिक हिंसा

किसी महिला की सामाजिक प्रतिष्ठा को खराब करना, बलात्कार करना, अश्‍लील चीज़ों को देखने के लिए मजबूर करना जैसी चिजे लैंगिक हिंसा में शामिल है।

  • आर्थिक हिंसा

महिला और उसके बच्चों की पढ़ाई, कपड़े, खाना और दवाइयां जैसी प्राथमिक जरूरीयाते पूरी न करना, नौकरी न करने देना या उसकी आय को जबरन ले लेना, घर को चलाने के लिए या घर की उपयोगी वस्तुओं को रोकना आर्थिक हिंसा में शामिल है।

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घरेलू हिंसा के खतरनाक प्रभाव

अक्सर यह देखा गया कि, घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति की सोच नकारात्मक हो जाती है। इसके साथ-साथ ऐसे लोगो के अंदर आत्मसम्मान जैसे गुणो की कमी हो जाती है। उनको घबराहट, चिंता और अकेलापन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। कई बार घरेलू हिंसा की वजह से व्यक्ति नशीले पदार्थो का आदि बनने लगता है। एसी स्थितियो में मनुष्य बहुत जल्द आत्महत्या जैसा रास्ता अपना लेता है।

इसके अलावा जिस व्यक्ति के साथ घरेलू हिंसा हुई है, उन्हे मानसिक रूप से बाहर आ पाना बहोत मुश्किल है। क्योकि उसे लगता है कि, जिस व्यक्ति पर उसने भरोसा किया आज वही उसे मार रहा है। हिंसा के वह पल हर समय उनको याद आते रहते है। कई जगहो पर घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक आघात इतना खतरनाक होता है कि, वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है।

घरेलू हिंसा से ना सिर्फ पीड़ित व्यक्ति को चोट पहुंचती है, बल्कि उसका पूरा समाज और परिवार इससे प्रभावित होता है। हिंसा का शिकार हुई महिलाए सामाजिक जीवन की गतिविधियों में बहुत कम भाग लेती है।

जब किसी परिवार में एसी हिंसा होती है, तब उस घर के बच्चे भी आक्रामक व्यवहार सीखते है। यही बच्चे बड़े होकर घरेलू हिंसा को और बढ़ावा देते है। कुछ लोगों के अनुसार जिन परिवारों में घरेलू हिंसा होती है, वहां डर के कारण बच्चे ठीक से खाना नहीं खा पाते है। ऐसे बच्चो की वृद्धि और विकास में देर लगती है। जिसकी वजह उनकी सीखने-समझने की शक्ति बहोत धीमी और कम हो जाती है।

इसलिए हमेशा किसी भी समस्या को बैठकर सुलजाने की कोशिश करे, क्या पता आपको हिंसा करने की जरूरत ही न पड़े।

घरेलू हिंसा का समाधान

घरेलू हिंसा की बढ़ती घटनाओ को देख भारत सरकार ने 2005 में ही घरेलू हिंसा अधिनियम कानून बनाया था। इसे 26 अक्टूबर, 2006 को संपूर्ण भारत में लागू किया गया था। इस अधिनियम को महिला एवं बाल विकास आयोग द्वारा संचालित किया जाता है। इस अधिनियम के तहत शहर में कुल आठ संरक्षण अधिकारी नियुक्त किए जाते है। इनका काम घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की शिकायत सुनकर जांच पड़ताल करना है। जांच पड़ताल करने के बाद ही पूरे मामले को न्यायालय में भेजा जाता है।

अगर किसी महिला को परिवार द्वारा अपशब्द कहे जाए, उनके साथ मारपीट की जाए या उन्हे हर चीज़ के लिए रोक-टोक की जाए तो एसी महिला घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत उन पर केस दर्ज़ कर सकती है।

अब पुलिस तो इन अपराधीओ के खिलाफ कार्यवाही करेगी, लेकिन जब तक सरकार को सामान्य लोगो का सहयोग नहीं मिलगा तब तक घरेलू हिंसा जैसी समस्याए जड़ से खत्म नहीं होगी। इसके लिए हमे सबसे पहले दहेज प्रथा को समाज से बाहर निकालनी होगी। क्योंकि महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा हिंसा दहेज के कारण होती है। अगर दहेज प्रथा को समाज से निकाला जाए तो बहोत हद तक हम घरेलू हिंसा को रोक सकते है।

पीड़ित महिला के अलावा उसका पड़ोसी या अन्य कोई व्यक्ति महिला की सहमति से अपने क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत दर्ज करके बचाव आदेश प्राप्त कर सकते है। इससे भी हम अपने आस-पास की किसी महिला को घरेलू हिंसा से बचा सकते है। इसके अलावा जब बड़े-बड़े नेता और प्रसिद्ध लोग महिलाओ पर अत्याचार करने वाले लोगो की निंदा करेंगे तो, इससे अपराधियो पर मानसिक दबाव आएग। इससे भी हम कुछ हद तक घरेलू हिंसा को रोक कर सकते है।

इसके लिए हमे खुद ऐसे आश्रय गृहो की स्थापना करनी होगी, जहां घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति रह सके। इससे पीड़ित व्यक्ति के अंदर यह डर खत्म हो जाएगा की, वो घर से भाग कर कहा जाए। इसके अलावा हमे शक्तिशाली संगठनों को साथ रखना होगा ताकि उस पीड़िता को कोई आश्रय गृहो में मारने आए तो उसका बचाव हो सके।

जब पुरुष अपने परिवार की अच्छी देखभाल करेगा और कड़ी मेहनत करके अधिक पैसा कमाएगा तो, शायद पुरुषोंके खिलाफ होने वाली घरेलू हिंसा में जरूर कमी आएगी। इसके अलावा अगर हमारे बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से ना करे और उन्हे आगे बढ्ने के लिए प्रोत्साहित करे तो इन्हे भी घरेलू हिंसा से बचाया जा सकता है।अगर हम यही मानसिकता रखें तो बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा को भी खत्म किया जा सकता है। और ऐसे कई तरीके है, जिनसे हम घरेलू हिंसा को रोक सकते है। लेकिन अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमें लोगों को घरेलू हिंसा से कैसे बचाना है।

निष्कर्ष

दुनिया का हर व्यक्ति सुकून वाली जिंदगी जीना चाहता है। लेकिन कुछ लालची और अहंकारी लोग अपने से कमजोर लोगों पर हिंसा करते है। इसमे भी खास कर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा आज हमारे किए चिंता का विषय बन गयी है। और जब तक हम सभी भारतीय एक नहीं होंगे तब तक इसका कोई समाधान नहीं होगा। इसीलिए आज से ही सरकार और कानून का साथ देकर घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाए। क्योकि तभी हम घरेलू हिंसा को जड़ से खत्म कर पाएंगे।


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