हिन्दी दिवस पर भाषण- hindi diwas speech in hindi

हिन्दी दिवस के मौके पर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में स्पीच-भाषण का आयोजन किया जाता है। अगर आप भी हिन्दी दिवस पर स्पीच देने का विचार कर रहे है तो यह आर्टिकल आपके बहुत काम आने वाला है। क्योकि आज के इस आर्टिकल में हम यह जानने वाले है कि हिन्दी दिवस पर भाषण कैसे देना है। इसके साथ-साथ एक सुनियोजित स्पीच कैसी होती है, आपको स्पीच में क्या बोलना है और कैसे आपको लोगो का ध्यान अपने तरफ रखना है वो सब कुछ हम इस आर्टिकल में जानने वाले है।

अब अपनी स्पीच शुरू करे 

सम्मानित मुख्य अतिथि, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों। सबसे पहले मैं आपको हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं देता/देती हूं। मेरा नाम ______ है और मैं कक्षा __ में पढ़ता हूँ। मैं आभारी हूं उन सभी शिक्षको का जिन्हों ने आज के इस अवसर पर मुझे अपने विचार रखने का मौका दिया है। भारत देश में हर साल शिक्षक दिवस, बाल दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे अलग अलग दिवस मनाए जाते है। इसी तरह हिन्दी दिवस को भी धूमधाम से मनाया जाता है। 

हमारे देश में सबसे अधिक बोली जानें वाली भाषा हिन्दी है। इसलिए भारत में हिंदी भाषा को राज भाषा का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान समय में भारत के 78 प्रतिशत से ज्यादा लोग हिंदी भाषा बोलते है। इसके अलावा मंदारिन चाइनिस, अंग्रेजी और स्पेनिश के बाद हिन्दी दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।लेकिन हमारे लिए हिन्दी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारी भावनाओं का उमड़ता हुआ सैलाब है जो हररोज अपनी सफलता के सोपान चढ़ता है। इसलिए तो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी ने हिन्दी भाषा को जनमानस की भाषा कहा है। 

हिंदी के विकास में काका कालेलकर, भारतेंदु हरिश्चन्द्र, मैथिलीशरण गुप्त, देवकीनंदन खत्री, प्रेमचंद, आचार्य हजारी प्रसाद दिवेदी, महादेवी वर्मा, शेठ गोविंददास, रामचन्द्र शुक्ल जैसे कई बड़े-बड़े लेखको ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। 

हिन्दी दिवस के इतिहास की बात करे तो सबसे पहले गांधीजी ने साल 1918 के साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को प्रस्ताव रखा था। लेकिन उस वक्त ब्रिटिश लोगो का शासन था, इसीलिए हिन्दी दिवस के बारे में लोगो को ज्यादा पता नहीं चला। लेकिन जब हमने अंग्रेज़ो को भारत से निकाल दिया तब देश के संविधान में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के लिए चुना गया। 14 सितम्बर 1949 को संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) में यह निर्णय लिया गया कि अब भारत देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।

14 सितम्बर को हिन्दी के बड़े साहित्यकार राजेन्द्र सिंहा का 50वा जन्मदिन था। इसलिए हिन्दी दिवस को 14 सितम्बर के लिए श्रेष्ठ माना गया और तभी से हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को मनाया जाता है। लेकिन इसका फेसला देश के पहले प्रधान मंत्री यानि जवाहरलाल नेहरू ने लीया था। साल 1953 में पहली बार हिन्दी दिवस भारत में मनाया गया था। 

200 साल ब्रिटिशरो की गुलामी के बाद आज़ाद भारत के हर व्यक्ति ने सपना देखा था कि एक दिन पूरे भारत में एक भाषा होगी, जिससे देश का हर नागरिक वाद-संवाद करेगा। लेकिन जब हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में चुना गया तभी से गैर-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे थे। इसलिए अंग्रेज़ी को भी हमें राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। 

हिन्दी दिवस के दिन देश में क्या-क्या कार्यक्रम होते है

हिन्दी दिवस के दिन स्कूल, कॉलेज, युनिवेर्सिटी और ऑफिस में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन शिक्षक अपने विद्यार्थियों को हिन्दी का महत्त्व समझाते है और इससे सम्बंधित कई प्रतियोगिताए जैसे निबंध लेखन, वाद-विवाद का आयोजन किया जाता है। इसके साथ-साथ विध्यार्थीओ को दैनिक जीवन में हिन्दी के उपयोग करने की शिक्षा दी जाती है। 

देश के कई जगहो पर इस दिन हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए एक सम्मान/पुरस्कार समारोह का आयोजन भी किया जाता है। यह सम्मान उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसने हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं सुधार के लिए विशेष योगदान दिया है। सम्मान के स्वरूप उस व्यक्ति एक लाख एक हजार रुपये दिये जाते है। इसके अलावा राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार भी दिया जाता है। लेकिन जो राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार है, वो लोगों को दिया जाता है जबकि राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार  किसी समिति या विभाग को दिया जाता है।

भारत के राष्ट्रपति भी हर साल हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा में सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाले लोगों को राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित करते है। भारत के सभी शिक्षण संस्थानों और सरकारी कार्यालयों में 15 दिनों तक हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। इन 15 दिनो में सभी कार्य हिंदी में किये जाते है, उसके साथ-साथ कई प्रतियोगिताएं और साहित्यिक कार्यक्रम भी कराए जाते है। 

यहा पर मोजूद कई लोगो के मनमें यह प्रश्न होता होगा कि हिन्दी दिवस को एक उत्सव के तरह मनाने के पीछे उद्देश्य क्या है। इसका जवाब यह है कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओ में से चीनी, अंग्रेजी और स्पेनिश के बाद हिन्दी चोथी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन हिन्दी को अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों की संख्या बहुत कम है। 

इसका मुख्य उद्देश्य इसी से संबन्धित है। आज हम इस बात से जरा भी इन्कार नही कर सकते कि हिंदी भाषा पर दिन-प्रतिदिन संकट बढ़ता जा रहा है। भारत के ज़्यादातर लोग यही चाहते कि उनके बच्चे अंग्रेजी के विद्यालयों में पढ़े और अच्छी तरह से अंग्रेजी भाषा को जान पाये, ताकि उन्हें एक अच्छी नोकरी मिले। ये हमारे देश के ज़्यादातर लोगों कि मानसिकता बन गई है। इसी वजह से हिंदी भाषा हमारे देश में ही दूसरे दर्जे की भाषा बन गयी है।

अगर सच कहे तो हिन्दी भाषा की समस्या हम भारतीय ही है। इससे मुझे चाणक्य का कथन याद आता है। उन्होंने कहा था कि जब तक कोई राष्ट्र अपने संस्कृति और मूल्यों की रक्षा करता है तब तक उस राष्ट्र को कोई पराजित नहीं कर सकता। लेकिन क्या आज हम पश्चिमी संस्कृति को अपनाने नहीं लगेगे? क्या आज हमने अपने मूल्यो को दाव पर नहीं लगाया है?

आज हमने केवल अग्रेंजी भाषा नहीं बल्कि अंग्रेजी के तौर तरीके को भी अपना लिया है। जिसके कारण हम अपने मूल भाषा और रहन-सहन को भी छोड़ने के लिए तैयार हो गये है। लेकीन याद रखना अगर आज हम अपनी संस्कृति और मूल्यो की रक्षा नहीं करेंगे तो हम विकसित नहीं हो सकते है। क्योकि आप किसी दूसरे देश की संस्कृति को अपना रहे है। आज हमारे देश की स्थिति ऐसी हो गयी है कि लोग अपने बच्चो को हिंदी विद्यालयो में दाखिला दिलाने में भी संकोच महसूस करते है। क्योकि अधिकतर माता-पिता यह चाहते है कि उनका बच्चा पहले अंग्रेजी लिखना-बोलना सिखे और फिर हिन्दी।

संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषाओ में आज तक हिन्दी को स्थान नहीं मिला आखिर क्यो? अगर हमारे देश के योग को 177 देशों का समर्थन मिल सकता है तो क्या हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन हम नहीं मिल सकता?लेकिन आज के समय में युवाओं को हिन्दी भाषा बोलने में शर्मिंदगी होती है, जो कि बिलकुल सही नहीं है।भारत के कई बड़े साहित्यकारों ने अपनी बातें कहने के लिए हिंदी भाषा को चुना क्योंकि हिन्दी के शब्द ही नहीं, इसके भाव भी लोगों के दिल को छू जाते है। 

इसलिए अब हमें हिन्दी भाषा को अपनी दिनचर्या में ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना होगा।  अंग्रेजी ही आधुनिक समाज में सबकुछ है, सबसे पहले हमें लोगो की इस मानसिकता को बदलना होगा। इस मानसिकता को बदलने के लिए हमे लोगो के अंदर जागरुकता लानी होगी। हमें लोगो को समझाना होगा कि भारत को अगर विकसित राष्ट्रो की सूची में शामिल होना है तो सभी भारतवासियों को हिंदी को अपनाना होगा। क्योकि किसी भी देश की पहचान उसकी मातृभाषा होती है। हमें अंग्रेजी के पीछे ऐसा भी पागल नहीं होना है कि हम अपने संस्कृति, विचारों, मूल्यो और भाषा को ही भूल जायें।

यदि अंग्रेजी ही तरक्की और विकास का कारण होती तो जापान, जर्मनी और इटली जैसे देश इतने विकसित नही होते। ये देश अपनी मातृभाषा को शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्रों में भी महत्व देते है। हिन्दी भाषा की उन्नति के लिए हमें सरकार का भी थोड़ा साथ चाहिए। अगर हमारी सरकार देश में मौजूद सभी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों को बताए कि आपको अंग्रेजी के साथ हिंदी को भी बराबरी का स्थान देना होगा। इसके साथ-साथ अंग्रेजी जितना ही महत्व आपको हिन्दी भाषा को देना होगा।

आधुनिक युग में हम सब भारतीयो को सोशल मीडिया का फाइदा उठाना चाहिए। सोशल मीडिया के माध्यम से भारत के हर व्यक्ति को हमें ये संदेशा पहुंचाना चाहिए कि हिंदी भाषा को ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।हिन्दी भाषा का विकास करना है तो कुछ लोगों के कार्य करने से कोई लाभ नहीं होगा। इसके लिए हम सभी को एक साथ रहना होगा ताकि हम हिन्दी भाषा का विकास कर सके और विलुप्त होने से हिन्दी भाषा को बचा सके।

मेरा आप सभी से यही निवेदन है कि बोल-चाल और लिखते वक्त हिंदी भाषा का इस्तेमाल ज्यादा-से-ज्यादा करे। आज के युग में हमें अंग्रेजी भाषा सीखना जरूरी है लेकिन अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए। अंत में यही कहूँगा कि इस सभा का हिस्सा बनने के लिए और मुझे इतने धैर्य से सुनने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद। 

निष्कर्ष 

उम्मीद करते है कि इस आर्टिकल में बताई गए हिन्दी दिवस के भाषण को पढ़कर आपको फायदा हुआ होगा। इसके साथ-साथ आपको यह भी पता चल गया होगा कि इस दिन हमें भाषण कैसे देना है। लेकिन फिर भी आपको इसमें कोई परेशानी या समस्या होती है, तो हमें कमेंट या ईमेल करे। हम आपकी समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश करेंगे।

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