पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

ये ग्रह हमें पूर्वजो से विरासत में नही मिला है, बल्कि अपने बच्चो से उधार में मिला है और उधार में ली हुई चीज़ हमेशा वापस लौटानी होती है। लेकिन आज हम अपने गिरीबान में जांक कर देखे तो पता चलेगा कि हमने विश्व को कितना प्रदूषित किया है। वर्तमान समय में हमारी आने वाली वाली पेढ़ीयो के लिए यह पृथ्वी बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। ऐसा नहीं है कि केवल भारत ही इस समस्या से जुज़ रहा है, बल्कि दुनिया के सभी देश इस समस्या से परेशान है। स्विट्जरलैंड और हॉलैंड जैसे कुछ देशो को छोड़कर बाकी सभी देशो क लिए ये एक बड़ी समस्या है। हररोज़ न जाने कितने पेड-पौधे काटे जा रहे है। जंगल में आग लगने के कारण पर्यावरण दूषित हो रहा है। लेकिन हमें पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकना होगा, नहीं तो हमारे बच्चो का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। 

 

Table of Contents

पर्यावरण का अर्थ क्या है

मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं को जो पूरा करता है, उसे पर्यावरण कहते है। हमारे आसपास का वातावरण भी एक तरह का पर्यावरण ही है। अगर हम कई सदियो पहले की बात करें तो प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ ओर सुंदर वातावरण दिया था। लेकिन जैसे जैसे मनुष्य का विकास होता गया वैसे वैसे वो लालची बनता गया और प्रकृति का विनाश करने लगा। इसी विकास और लालच के कारण आज मानव ने खुद को ओर पर्यावरण को दोनों को खतरे में डाल दिया है। वर्तमान में विज्ञान बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, क्योकि यह मानव जीवन को आरामदायक बनाता है। लेकिन दूसरी तरफ उसने पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाया है

 

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार 

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य 4 प्रकार है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और शोर प्रदूषण।  

जल प्रदूषण

पर्यावरण प्रदूषण में सबसे पहला प्रकार है जल प्रदूषण। सभी प्रकृति की प्रेरक शक्ति जल है। दुनिया में मनुष्य को सबसे ज्यादा जल की जरूर पड़ती है, लेकिन फिर भी हम पानि को प्रदूषित करते है। जैसे कि कारखानों और बड़ी-बड़ी फ़ैक्टरीयो से खतरनाक रासायनिक पानी निकलकर नदियों और महासागरों में मिलता है। इसकी वजह से बड़ी मात्रा में जल प्रदूषित होता है और इस प्रदूषण का भुगतान पानी में रहे जीवो को देना पड़ता है। 

वायु प्रदूषण 

आज पर्यावरण का सबसे प्रदूषित हिस्सा वायु है, क्योंकि आज मोटर-साइकिल, कार, ट्रक जैसे उपकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ रही है। दूसरी तरफ जनसंख्या वृद्धि के कारण घरों में रेफ्रिजरेटर और AC बढ़ गए है। इससे निकलने वाली CFC गैस ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है। जिससे वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।

भूमि प्रदूषण

मनुस्य की भूख को मिटाने वाला अनाज भूमि पर ही उगता है, लेकिन मानवी ने तो उसको भी प्रदूषित कर दिया है। वर्तमान में भूमि पर सबसे ज्यादा नुकसान प्लास्टिक करता है, लेकिन हम सबसे ज्यादा उत्पादन भी प्लास्टिक का ही कर रहे है। जबकि प्लास्टिक इतना मजबूत होता है कि अगर मिट्टी में गाड दिया जाए तो 50 साल तक प्लास्टिक वैसा ही रहता है। कोई व्यक्ति अगर अपने आस-पास सफाई नहीं कर सकता तो इसे गंदा तो न करे।

शोर प्रदूषण

आवृत्ति के साथ तुच्छ शोर को प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण कभी भी समृद्धि का मूल्य नहीं होना चाहिए।लेकिन आज की शादीयों में जब तक डीजे नहीं बजता, तब तक वो शादी नहीं कहलाई जाती। इसके अलावा कारखानो के बड़े-बड़े मशीनों के शोर भी प्रदूषित करते है। एक मनुष्य जब ज्यादा शोर करेगा या सुनेगा तो उसको मानसिक तनाव की बड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है।

 

प्रदूषण के कारण

पर्यावरण को प्रदूषित करने के कई कारण है, जिसमें सबसे पहला जंगल का विनाश करना। आज पेड-पौधो के जंगल नष्ट हो गए और पत्थरो के जंगल का विकास तेजी से हो रहा है। पेड़ो का उपयोग मनुष्यों द्वारा घर के फर्नीचर और कई अन्य तरीको से कागज बनाने के लिए किया जाता है। इसी वजह से पेड़-पौधो की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है। 

वनों की कटाई का सीधा असर बारिश पर पड़ता है। जिसके कारण कई बार बारिश ज्यादा आने से नदियां में बाढ़ आ जाती है और कई बार कम बारिश से अकाल की स्थिति बन जाती है। वनो की कटाई से वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, क्योकि पेड़-पौधे ही हमें ऑक्सीज़न देते है।

पर्यावरण को प्रदूषित करने के दूसरा कारण है औद्योगिक और तकनीकी विकास। औद्योगिक और तकनीकी विकास से मनुष्य का काफी विकास हुआ है। इससे हमारी ज़िंदगी आरामदायक बन गयी है। लेकिन इसमें नुकसान कुदरत को हो रहा है। पुराने गृह उद्योग और आज के तकनीकी उद्योग के बीच एक बड़ा अंतर है। देखा जाय तो तकनीकी विकास समय की बचत करता है, लेकिन इस तरह की तकनीक में मशीनों का धुआं, गंदा पानी और कचरा जमीन, पानी और हवा को नुकसान पहुंचाता है। इससे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की समस्या भी बढ़ती है।

पर्यावरण को प्रदूषित करने के तीसरा कारण है परमाणु बम विस्फोट। आज हर देश शक्तिशाली बनना चाहता है। इसलिए अर्थशास्त्र से लेकर टेक्नोलोजी तक और बम से लेकर हथियारों तक हर चीज़ में एक दोड़ है। आज सभी देश परमाणु, अणु और हाइड्रोजन बम को बनाने में और परीक्षण करने में लगे रहते है। इसकी वजह से हवा और जमीन को बहुत नुकसान पहुंचता है। लेकिन इसे जब किसी दूसरे देश पर फेंका जाता है, तब सबसे ज्यादा नुकसान होता है।  ये बॉम्ब इतने खतरनाक है कि बमबारी की जगह पर पैदा होने वाले बच्चे भी विकलांग जन्म लेते है। (जैसे हिरोशी और नागासाकी में हुआ था) 

इन सबके अलावा भी कई ऐसे कारण है, जिससे पर्यावरण को लगातार नुकसान हो रहा है। 

 

पर्यावरण प्रदूषण को कैसे नियंत्रित करे 

किसी भी प्रदूषण का निर्माण करना आसान है, लेकिन इसके प्रभाव को हल करना थोड़ा मुश्किल है। ऐसे प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सबसे पहले सभी देशों का एक गठन करना होगा। ताकि सभी देश मिलकर इन प्रदूषण को निपटने पर गंभीर चर्चा कर सके। इसके अलावा प्रत्येक देश को अपनी रिपोर्ट देनी चाहिए और इसके समाधान के लिए हर देश को यह सोचना चाहिए की इन प्रदूषणों से कैसे बचा जाए। 

इसके अलावा हमारे देश में जल का ज्यादा प्रदूषण बड़ी कंपनियां और कारखानें करते है। अगर उनको कानून के सख्त अनुपालन के तहत लाया जाए तो कुछ हद तक हम पर्यावरण क प्रदूषित होने से बचा सकते है। अगर कोई कंपनी या कारख़ाना निर्धारित से अधिक प्रदूषण करे तो उसे बंद करने पर मजबूर करनी चाहिए। 

वायु प्रदूषण से बचने के लिए देश में एलपीजी, सीएनजी के उपयोग को बढ़ाना होगा। इसके साथ-साथ हमें पेट्रोल और डीजल के वाहनों को कम करके इलेक्ट्रॉनिक्स वाहनों और सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाना होगा। इससे हम कुछ हद तक हवा को प्रदूषित होने से बचा सकते है। प्लास्टिक के लिए भी हमें कुछ उपाय निकालने चाहिए। जैसे कि हमें प्लास्टिक को जलाने के बजाए उसको रीसाइकलिन करके फिर से उपयोग में लाना चाहिए। 

लेकिन सबसे बेहतर यह उपाय है कि हमारी बच्चे जो स्कूल में पढ़ रहे है, उन्हें प्रदूषण के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना चाहिए। इसके लिए आप स्कूल में प्रदूषण पर नई योजनाएं प्रदान कर सकते है। कुछ भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, युवा छात्रों के बीच प्रदूषण पर बहस का आयोजन करके उनको प्रदूषण के बारे में जागरूक करना चाहिए। बच्चों को पर्यावरण की सेवा के लिए भेजना चाहिए और उन्हें पोस्टर बनाने के लिए देने चाहिए। इससे उनके अंदर जागरूकता पेदा होगी और भविष्य में वो बच्चे खुद पर्यावरण की रक्षा करेंगे।

5 जून को बहुत होशपूर्वक विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। उस दिन लोग प्रदूषण को मिटाने की एक नाकाम कोशिश करते है। लेकिन क्या हमें एक दिन के लिए ही पर्यावरण को बचाना है और बाकी के 364 दिन हमें पर्यावरण को नुकसान करना है। यदि नहीं तो आज से ही हम अपने घर से पर्यावरण की रक्षा करते हे। सबसे पहले हमें पानी को प्रदूषित बनने से रोकना होगा। सड़कों पर कूड़ा फेंकने के बजाय उसे कूड़ेदान में फेंकना होगा। जीवन में एक नियम बनाना होगा कि हर महीने एक पेड़ लगाएंगे और उसकी देखभाल करें। क्योकि अगर प्रकृति मनुष्य को इतना सबकुछ दे रही है तो हम इसके लिए इतना तो कर ही सकते है।

इसके अलावा जितना हो सके हमें उतना कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करना चाहिए। बिजली के उपकरणों  उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना है और पेट्रोल और डीजल के उपयोग को कम करना है। अगर हम खुद यह काम करेंगे तो निश्चित रूप से पर्यावरण में बदलाव जरूर आएगा और कुछ सालो में प्रदूषण कम जरूर होगा।

 

निष्कर्ष

अँग्रेजी में एक बड़ी अच्छी कहावत है कि Stopping pollution is the best solution. इसका मतलब यह है कि प्रदूषण रोकना ही सबसे अच्छा उपाय है। इसलिए आप आज से ही अपने घर में और आस-पास के पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए और लोगो को इसके बारे में जागरूक करे। 


FAQ

पर्यावरण प्रदूषण क्या है ?

मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं को जो पूरा करता है, उसे पर्यावरण कहते है। लेकिन जब हम इसको प्रदूषित करते है, उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार के है ?

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य 4 प्रकार है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और शोर प्रदूषण।  

पर्यावरण प्रदूषण के उपाय क्या है ?

इस आर्टिकल में हमने काफी सारे उपाय बताए है, जिससे पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है। इसलिए आप इस आर्टिकल को पढ़ सकते है।


अन्य निबंध पढ़े :

कचरा प्रबंधन पर निबंध 

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

ठोस अपशिष्ट पर निबंध

तोते के बारे में मज़ेदार तथ्य

Leave a Comment