(2022) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध- Essay on Solid Waste Management

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अपशिष्ट हम सभी के लिए एक खतरनाक समस्या है। क्योकि इसकी वजह से आज हर दिन नई-नई बीमारियां फैल रही है। इन बीमारियों के कारण हर दिन लाखों लोगों की मौत हो रही है। अपशिष्ट के आंकड़ो की बात करे तो वर्तमान समय में हमारे देश में लगभग 378 मिलियन लोग शहरों में रहते है। सिर्फ ये शहरी लोग ही प्रति वर्ष 62 मिलियन टन सार्वजनिक ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करते है। अगर हम इसमें गांव के अपशिष्ट की गणना करे तो शायद ये आंकड़े चौकाने वाले होंगे। इसमें भी विशेष रूप से ठोस अपशिष्ट (कचरा) सबसे ज्यादा खतरनाक है।

और यदि हमने जल्द ही अपशिष्ट को प्रबंधन करने के बारे में कुछ नहीं किया तो, हमारे आने वाले बच्चो के लिए यह अपशिष्ट बहुत घातक साबित हो सकता है।

 

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ठोस अपशिष्ट का अर्थ

साधारण भाषा में समझे तो हमारे घरो, स्कूलो, कार्यालयो, उद्योगों आदि में हम जिन कठोर चीज़ों को एक बार उपयोग करने के बाद फेंक देते है, उसे ही ठोस अपशिष्ट कहा जाता है। जैसे प्लास्टिक की वस्तुएं, कांच, धातु, चमडा, दवाई की शीशियाँ, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि कई ऐसे उत्पाद है, जो कई साल बीत जाने के बाद भी कभी नष्ट नहीं होते ।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत प्रतिवर्ष 960 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न करता है। इसमें सबसे ज्यादा ठोस अपशिष्ट ही होता है और हमारे पास ठोस अपशिष्ट के निपटान की कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है। इसके साथ-साथ ठोस अपशिष्ट को फेंक देने से जमीन तो खराब होती ही है, लेकिन उसको जलाने से वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। इसीलिए हमें वर्तमान में ठोस अपशिष्ट का सही प्रबंधन करना बहोत जरूरी है।

 

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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तरीके

मनुष्य और पर्यावरण को नुकसान करे बिना ठोस अपशिष्ट का निपटान करने की व्यवस्था को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कहा जाता है। ठोस अपशिष्ट को प्रबंधन करने के मुख्य तरीके।

  • अपशिष्ट पुनः प्रयोग

इसमें उत्पादकों और उपभोक्ताओं को अपशिष्ट का पुनः उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे लोग अपने जीवन में अपशिष्ट का पुनः उपयोग करना सीखेंगे। अगर भारत के 60 प्रतिशत लोग भी इस तरीके को अपना ले तो शायद 1 साल में हम भारत में ठोस कचरे को खत्म कर सकते है।

  • अपशिष्ट का पुनः चक्रण

अपशिष्ट का पुनः चक्रण यानि कचरे को उपयोगी माल के रूप में प्रयोग करना। अगर हम ठोस अपशिष्ट को किसी उत्पाद में कच्चे माल के तौर पर उपयोग करे तो बहोत हद तक हम ठोस अपशिष्ट का निपटान कर सकते है। इसके लिए हमें सबसे पहले सारे संग्रहित कचरे को एकत्रित कर उसका कच्चा माल तैयार करना होगा और फिर उसे नए उत्पाद के लिए तैयार करना होगा।

  • भस्मीकरण

भस्मीकरण एक सामान्य तापीय प्रक्रिया है। इसमें अपशिष्ट को ओक्सीजन की उपस्थिति में दहन किया जाता है। इसके बाद अपशिष्ट पानी की भाप, कार्बनडाई ऑक्साइड और राख में बदल जाता है। इस प्रकिया का उपयोग बिजली को ऊष्मा देने के लिए भी किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया से मीथेन गैस उत्पन्न होती है, जो वायु को प्रदूषित करती है। इसलिए भस्मीकरण प्रक्रिया का उपयोग थोड़ा कम किया जाता है ।

  • गैसीकरण

इस प्रक्रिया में ठोस अपशिष्ट को उच्च तापमान में विखंडित किया जाता है। इसमें अपशिष्ट का दहन बहुत कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्रों में किया जाता है। इससे भी पर्यावरण को नुकसान होता है।

  • पाइरोलिसिस

इस प्रक्रिया में भी गैसीकरण की तरह ठोस अपशिष्ट को उच्च तापमान पर विखंडित किया जाता है। परंतु इसमें अपशिष्ट का दहन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में किया जाता है। पाइरोलिसिस की खास विशेषता यह है कि, इसमें वायु प्रदूषण बिल्कुल नहीं होता।

इस तरह हम इन सभी प्रक्रियाओं का उपयोग ठोस अपशिष्ट को प्रबंधन करने के लिए कर सकते है। इन प्रक्रियाओं से न सिर्फ ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन किया जा सकता है, बल्कि कच्चा माल और ऊर्जा भी ली जा सकती है।

 

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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लाभ

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन करने से जन स्वास्थ्य और पर्यावरण इन दोनों को लाभ होता है । 
  • जब ठोस अपशिष्ट का सही तरीके से प्रबंधन किया जाएगा तब बीमारियों के फैलने का कोई डर नहीं रहेगा। जिसकी वजह से हमारे देश के जन स्वास्थ्य में सुधार होगा और लोगो की श्रम करने की क्षमता बढ़ जाएगी।
  • इसकी वजह से जहरीले और खतरनाक पदार्थों की निकास कम हो जाएगी, जिससे जल प्रदूषण को रोका जा सकता है।
  • भस्मीकरण जैसी प्रक्रियाओ से हमें बिजली उत्पादन के लिए सस्ती ऊर्जा प्राप्त होगी ।
  • अगर हम ठोस अपशिष्ट का निपटान करेंगे तो हमारी जमीने बंजर नहीं बनेगी। इससे कृषि उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी।
  • ठोस अपशिष्ट का पुनः चक्रण करने से हमें कच्चा माल मिलता है। इससे बनी चिजे हमें बहुत सस्ते में मिल जाएंगी।

 

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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम

भारत में लगातार बढ़ रहे ठोस अपशिष्ट को रोकने के लिए भारत सरकार ने कानूनी स्तर पर पहल करके 2016 में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम बनाया था। इस अधिनियम का सबसे ज्यादा प्रभाव नगरीय क्षेत्रों में होगा। इसके अलावा इस अधिनियम में सरकार के सभी मंत्रालयों, प्रशासनिक कार्यालयों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्तव्यो का वर्णन किया गया है।

इस नियम के मुताबिक बायोडिग्रेडेबल और खतरनाक घरेलू अपशिष्टों को हर घर में अलग-अलग पात्र में डाला जाएगा। इसके बाद अपशिष्टों को शहरी निकाय के प्रतिनिधि को सौंप दिया जाएगा। इसके अलावा जो व्यक्ति प्रतिदिन 20 टन या महीने का 300 टन अपशिष्ट का निर्माण करता है, उन्हे स्थानीय निकाय की अनुमति लेनी होगी और कर भी देना होगा।

 

निष्कर्ष

भारत में उत्पन्न होने वाला कुल ठोस अपशिष्ट में से सिर्फ 68 प्रतिशत अपशिष्ट को ही एकत्र किया जाता है। बाकी का 32 प्रतिशत अपशिष्ट आखिर कहा गया? यह प्रश्न हमें सरकार से पूछने की जरूरत है। क्योकि अगर ठोस अपशिष्ट का उचित प्रबंधन नहीं हुआ तो भविष्य में हमें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए आज ही से अपशिष्ट को प्रबंधन करना शुरू करदे।


अगर आपको इस निबंध से लाभ हुआ हो, तो इसे share करना न भूले। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद (Essay on Solid Waste Management

 

FAQ

Q- ठोस अपशिष्ट क्या है?

ANS- हमारे घरो, स्कूलो, कार्यालयो, उद्योगों आदि में हम जिन कठोर चीज़ों को एक बार उपयोग करने के बाद फेंक देते है, उसे ही ठोस अपशिष्ट कहा जाता है।

Q- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्या है?

ANS- ठोस अपशिष्ट को फेंक देने से जमीन खराब होती है और उसको जलाने से वायु प्रदूषित होता है। इसलिए मनुष्य और पर्यावरण को नुकसान करे बिना ठोस अपशिष्ट का निपटान करने की व्यवस्था को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कहा जाता है।

Q- ठोस अपशिष्ट का उपचार और निपटान कैसे करना चाहिये?

ANS- ठोस अपशिष्ट का उपचार और निपटान करने के कई तरीके है। जिसे आप इस निबंध के अंदर पढ़ सकते है।


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