वर्षा ऋतु पर निबंध – varsha ritu par nibandh

हमारे प्यारे भारत देश में प्रकृति की एक अलग पहचान है। विश्व में कहीं भी आपको भारत जैसे प्राकृतिक दृश्य देखने को नहीं मिलेंगे। इसके अलावा पूरे विश्व में तीन ऋतु है, लेकिन हमारे देश में कुल छे ऋतु है। इसमें से हम मुख्य तीन ऋतुओ को ही जानते है, क्योकि भारत एनेक विभिन्नताओं वाला देश है। इसलिए हमारे यहाँ ऋतुओ में भी विभिन्नता है। हमारी छे ऋतुओ में शीत, (सर्दी) ग्रीष्म, (गर्मी) वर्षा, हेमन्त, बसंत और शिशिर शामिल है। ये सभी ऋतुए दो-दो महीने के अंतर में बदल जाती है। 

इन सभी ऋतुओ में वर्षा ऋतु का एक अलग ही स्थान है। इसे लोग सबसे प्रतीक्षित ऋतु भी कहते है, क्योकि इस ऋतु में मौसम बहुत शांत और खुशनुमा होते है। भारत में गर्मियों के दौरान तापमान 45 डिग्री से भी ज्यादा हो जाता है। मानवी से लेकर जानवरो तक सभी गर्मी से बेचेन हो जाते है। लेकिन जब वर्षा की पहली बूंद जमीन पर गिरती है तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रेहता। जीव-जन्तु और जानवरो का मन खुशी से जूम उठता है। बच्चो और वृद्ध व्यक्ति भी वर्षा ऋतु का खूब मज़ा लेते है। खास तौर पर वर्षा ऋतु एक किसान के लिए बहुत ही उपयोगी और लाभकारी होती है।

 

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वर्षा ऋतु का आगमन 

भारत में सभी ऋतुओ का अपना महत्व है। इन सभी ऋतुओ के अपने-अपने प्राकृतिक नज़ारे है। सभी ऋतु के काम अनुसार नाम दिये गए है। इनमें सबसे सुंदर वर्षा ऋतु की शुरुआत जुलाई महीने से हो जाती है और सितंबर तक वर्षा ऋतु रहती है। हिन्दी पंचांग के अनुसार सावन-भादों के महीने में वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। 

बच्चो से लेकर बूढ़ो तक और जानवरो से लेकर जीव-जंतु तक सभी इस ऋतु का बेसब्री से इंतजार करते है। क्योकि भारत में गर्मी बहुत ज्यादा होती है। सभी लोग इस कड़कड़ाती गर्मी से त्राहिहाम हो जाते है। लेकिन जब वर्षा का एक बूंद भुमि पर पड़ता है तो चारो और खुशिया फैल जाती है। वर्षा के बाद जहा भी नज़र करे वहा हरियाली छा जाती है। गर्मी के ऊंचे तापमान और खतरनाक लू के थपेड़ो से जनजीवन को इस ऋतु से बहुत राहत मिलती है।

वर्षा ऋतु में पूरी प्रकृति की काया पलट हो जाति है, क्योकि प्रकृति के सारे रंग हमें बारिश में देखने को मिलते है।जंगल के सभी पेड-पौधे फिरसे अंकुरित हो जाते है। जिससे पशु-पक्षि और जीव-जन्तु को खाने के लिए पेड-पौधे और घास मिल जाती है। सूखी और काली पहाड़ियों पर तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने हरे रंग की हरियाली चादर बिछादी हो। वर्षा ऋतु में मक्का, सोयाबीन, मूंग, धान, कपास, गन्ना, मूंगफली, बाजरा और ज्वार जैसे कई फसलों को उगाया जाता है।

वर्षा ऋतु के प्रमुख फल और सब्जियों में नाशपाती, परवल, जामुन, आदु, लौकी, भिंडी, प्लम ओर करेला शामिल है। गर्मी की वजह से सूखे नाले, नदियां, बांध, तालाब मे फिर से नए नीर का आगमन होता है। बच्चे इन जगहो पर जाकर बहुत मस्ती करते है। इसलिए तो बच्चो को वर्षा ऋतु सबसे ज्यादा पसंद होती है। 

भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत का एक बड़ा तबका खेती करता है, इसलिए यह ऋतु हमारे लिए ओर भी महत्व रखती है। कई बार इस ऋतु में भारी तूफान आ जाते है, जिससे लोगो को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन फिर भी लोगो को यही ऋतु सबसे ज्यादा पसंद है। इसलिए तो वर्षा ऋतु साल की सबसे सुखदायक ऋतु है।

यह ऋतु से मीठे पानी की मात्रा पृथ्वी पर बढ़ती है, जो हमारी आने वाली पेढ़ी के अस्तित्व को कभी पानी की कमी नहीं होने देगी। अगर साल में कभी बारिश ना हो तो कितने देशो की भूमि सुखी और वेरान बन जाएगी। कितने लोगो को इस सूखे से असर होगा। कितने लोग बिना पानी के मर जाएंगे और कितने देशो की अर्थव्यवस्था बिखर जाएगी।

 

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वर्षा ऋतु का महत्व

वर्षा ऋतु को भारत में अथवाचातुर्मास, चौमास, वर्षोमास और वर्षाकाल के नामों से भी पुकारा जाता है। भारत के सभी ऋतुओ में वर्षा ऋतु सबसे प्रिय है। जब भी यह ऋतु आगमन होता है तब धरती में रहने वाला हर जीव खुशी से जूम उठता है। क्योकी भारत एक गर्म प्रादेशिक क्षेत्र में आता है। इससे यहाँ गरमी बहुत ज्यादा होती है। कई जगहो पर तो इतनी ज्यादा गरमी पड़ती है कि लोगो को पीने के पानी भी नहीं मिलता है।

प्रचंड गरमी के बाद जब पहली बारिश होती है तब जमीन में से जबरदस्त खुशबू आती है। इसके अलावा भारत में ज़्यादातर लोग खेती पर निर्भर रहते है और खेती के लिए पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। जब बारिश होती है तो किसान खुशी के मारे झूम उठते है। वो अपने खेतो में बीजारोपण और सिंचाई की शुरुआत करते है।उनके लिए तो बारिश अमृत समान होती है। 

किसान बारिश की पानी का फिर से उपयोग करने के लिए अपने खेतो के आस-पास कई तालाब और गड्ढे बनाते है। इसमें वर्षा के पानी को संग्रह करते है। जब अच्छी बरिस होगी तो देश के किसानो की फसल बहुत अच्छी होगी। उनके खेतो में चारो और हरियाली छा जाएगी। जब खेतो में हरियाली आएगी तो अनाज भी बहुत भरपूर होगा।

अनाज भरपूर होने के कारण देश के किसान और देश की अर्थव्यवस्था दोनों का विकास होंगा। कड़ी गर्मी के कारण कई पेड़-पौधे दुबले-पतले हो जाते है और मुरजा जाते है। लेकीन बारिश के आने से सूखे पेड़-पौधो के अंदर नयी जान आ जाती है। उनकी शाखाए बढ़ने लगती है। इस तरह बारिश के मौसम में चारो और हरियाली छा जाती है। कई लोग बाग-बगीचे और खेत-खलिहान में जाकर हरियाली का मज़ा लेते है। बारिश की छोटी-छोटी बुंदे जब पेड़ो की हरी पत्तियों पर पड़ती है तो हमको ऐसा दृश्य देखने को मिलता है जैसे मोती झड़ रहे हो।

इसके अलावा जब आकाश में पहली बार काले बादल दिखते है तब ना सिर्फ मोर बल्कि जंगल के सभी पशु-पक्षी नाचते है। मोर, मेंढक और कई प्रकार की चिड़िया की ध्वनि वातावरण को एक सुंदर संगीत देती है। एक अच्छी बारिश पानी के सभी स्त्रोत को लबालब भर देती है। इसकी वजह से धरती पर रहने वाले सभी मनुष्य, पशु-पक्षी और जीव जंतुओं को अपार मीठा जल मिलता है। धरती का भू-गर्भ जल स्तर भी बढ़ जाता है। आप ऐसा भी मान सकते है कि वर्षा ऋतु दुनिया को जीवन देती है। एक माँ की तरह विश्व के सभी जीवो को पालती है। क्योकि यही ऋतु एक प्यासे को पानी पिलाती है और फसल को उगाने में हमारी मदद करती है।इसीलिए तो वर्षा ऋतु को ऋतुओ की रानी का दर्जा दिया गया है।

इस प्यारी ऋतु में भारतीय संस्कृति के स्वतंत्रता दिवस, तीज, विश्वकर्मा पूजा, रक्षाबंधन जैसे कई त्योहार आकार वर्षा ऋतु को ओर भी महत्व बनाते है। कई बच्चे गर्मियों की वजह से अपने घर से नहीं निकलते है। लेकिन बारिश की पहली बूंद से ही बच्चे मस्ती के मूड में आ जाते है और खूब नाचते है। गर्मियों के कारण जो बच्चे घर से बाहर निकलना बंद कर देते है बारिश के मौसम में वे बाहर निकल कर खूब खेलते-नाचते है और बारिश का पूरा आनंद लेते है।

 

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वर्षा ऋतु के फायदे और नुकसान

दुनिया में बसी हर चीज़ के दो पहलू है एक फायदा और दूसरा नुकसान। इसलिए वर्षा ऋतु के भी फाइदा और नुकसान दोनों है। 

वर्षा ऋतु के फायदे

यह ऋतु सभी के लिए बहुत लाभदायक है, लेकिन एक किसान के लिए यह ऋतु उसकी श्वास से बढ़कर है। उनके लिए एक वरदान है। क्योंकि गर्मियों की कड़ी धूप में यह किसान अपने खेतो में काम करते है। खेतो की खुदाई करके उसमें बीज़ बोते है। 45 डिग्री से भी ज्यादा तापमान में दिन भर मेहनत करना बहुत कठिन काम है। अंत में फसल तैयार करने के लिए सिर्फ बारिश का इंतिज़ार करते है और जब बारिश आती है तब किसानों बहुत खुश होते है।

फिर जब फसल लेने की बारी आए तो अनाज, फल, सब्जियां आदि भरपूर मात्रा में होते है। इसलिए तो बारिश उनके लिए एक वरदान समान है। एक अच्छी वर्षा किसानों को अच्छी आमदनी देती है। हमारा देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। हमारी कुल अर्थव्यवस्था में 70% से अधिक आमदनी कृषि से होती है। जब वर्षा ही नहीं होगी तो हम अनाज, फल-फूल कहा से उगाएँगे। सभी वस्तुओ के दाम भी तेजी से बढ़ेंगे और इसका सीधा असर देश के गरीब लोगो और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। 

इसके अलावा पर्यावरण को सही चलने के लिए वर्षा ऋतु का होना जरूरी है। क्योकि एक बार भी बारिश ना आए और सूखा पडे तो पर्यावरण का पूरा तंत्र बिगड़ जाएगा। दुनिया के सभी लोग पानी के लिए त्राहिमाम मचा देंगे। पृथ्वी पर हमारा जीना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन जब बारिश सही समय पर और सही प्रमाण में आए तो मनुष्य के लिए पानी और पशु-पक्षी, जीव-जन्तु के लिए चारे का प्रबन्ध हो जाता है।

कई बार गर्मी इतनी ज्यादा भयंकर होती है कि नदी और तालाब सुख जाते है। पेड़-पौधे और घास भी सूख जाती है। इसी कारण कई जीव-जंतु बिना खाये-पिये मर जाते है। इसलिए जब बारिश होती है तब सारी पानी की कमी दूर हो जाती है। बारिश की वजह से पेड़-पौधे और घास भी उग जाती है। ये दोनों चीजे ही इन अबोल जीव-जन्तु के लिए जीवन समान है।

गर्मीयो के ऊंचे तापमान की वजह से पृथ्वी का जल वाष्प बनकर उड जाता है। मानव द्वारा भी भूगर्भ जल का अधिक मात्रा में शोषण किया जाता है। इन दोनों प्रकीया से पानी में बहुत खपत होती है। लेकिन वर्षा ऋतु की मुशलधार बारिश की वजह से फिर भूगर्भ जल का स्तर बढ़ जाता है। कुए, तालाब, नदियों आदि जल स्रोतों में पानी का प्रमाण बढ़ता है। इससे तापमान में भी बहुत कमी आती है। 

 

वर्षा ऋतु के नुकसान

वर्षा ऋतु में बीमारियां ज्यादा बढ़ती है। खांसी, मलेरिया, जुकाम, हैजा और त्वचा संबंधी रोग वर्षा ऋतु में बहुत ज्यादा होते है। लेकिन ये सभी बीमारिया मानवो द्वारा फैले प्रदूषण से ही होती है। अगर हम सभी ऐसे प्रदूषण फेलाने से बचे और पर्यावरण का सही ख्याल रखे तो इन बीमारियो से बच सकते है। कईबार ज्यादा बारिश होने की वजह से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे बहुत नुकसान होता है। इसमें कई लोगो की जाने जाती है और माली नुकसान भी होता है।

एक किसान वर्षा का बेसब्री से इंतिज़ार करता है। लेकिन जब बाढ़ आती है तो उसकी पूरी फसल का सत्यानाश हो जाता है। पूरा खेत बारिश के पानी में डूब जाता है। फसल खराब होने कि वजह से कई किसान को ऐसा सदमा लगता है कि वो आत्महत्या कर लेते है। बारिश की वजह से कई उद्यान और खेल के मैदान पर पानी भर जाता है और अंत में वो कीचड़ बनकर बदबूदार बन जाता है। इससे कीचड़ में रोग फेलाने वाले जीव-जन्तु और बैक्टीरिया पड़ जाते है। इसी वजह से बड़े स्तरों पर बीमारियों बढ़ती है और फैलती है। वर्षा ऋतु में वैसे भी सूरज की रोशनी कम आती है। लेकिन फिर भी वर्षा ऋतु के लाभ ज्यादा है और हानी कम है।


निष्कर्ष

अगर देखा जय तो विश्व की जीवन प्रणाली वर्षा पर अधिक निर्भर रहती है। इस ऋतु के कारण लोगो के अंदर हर्षो-उल्लास की तरंग दौड़ उठती है। किसी भी मनुष्य का मन हरियाली को देख कर प्रफुल्लित हो जाता है। किसान अपने खेतों में लहराती फसल को देख कर बहुत खुश होता है। और जिस देश का किसान खुश होता है वह देश का हर नागरिक खुश होता है। 


FAQ

वर्षा ऋतु कब आता है ?

वर्षा ऋतु की शुरुआत जुलाई महीने से हो जाती है और सितंबर तक वर्षा ऋतु रहती है। हिन्दी पंचांग के अनुसार सावन-भादों के महीने में वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। 

वर्षा ऋतु पर निबंध कैसे लिखे ?

हमने इस आर्टिकल में बहुत अच्छे तरीके से वर्षा ऋतु पर निबंध लिखा है। इसे आप पढ़ सकते है।


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