महिला सशक्तिकरण पर निबंध- Women empowerment in Hindi

एक कवि ने महिलाओ के बारे में बहुत अच्छा लिखा है कि यदि आप कुछ कहना चाहते है तो एक पुरुष से कहे और आप कुछ करना चाहते है तो एक महिला से कहे। लेकिन फिर भी आज महिलाओं को अपने समाज में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ-साथ एक महिला हर उम्र में अपने संरक्षकों से पीड़ित होती है। जैसे बचपन में अपने पिता और भाई से, युवावस्था में प्रेमी और पति से, विवाहित जीवन में ससुराल वालो से और जीवन के अंत में बेटों से।

इतिहास गवाह है कि दुनिया के सभी समूहों में पुरुषों से अधिक महिलाओं को नुकसान उठाना पड़ा है। हिंसा, छेड़छाड़, बलात्कार, गरीबी, कुपोषण आदि चिज़े महिलाओं को सहन करनी पड़ती है। इसीलिए आज महिलाओ को सशक्त करना बहुत जरूरी है। 

 

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण क्या है

महिला सशक्तिकरण महिलाओं को मजबूत बनाने की और हर चीज में पुरुषों के समान महत्व देने की एक प्रक्रिया है। सामाजिक, आर्थिक और राजकीय पदों में लिंग के आधार पर मतभेद को रोकना महिला सशक्तीकरण का मुख्य उदेश्य है। बीसवीं सदी के बाद इस मुद्दे को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर महत्व मिला था। आज के आधुनिक युग में महिला सशक्तीकरण एक वैश्विक मुद्दा बन गया है।

रशिया के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने अपने एक लेख में बहुत मज़ेदार बात कही थी कि किसी भी देश में महिलाओं की स्थिति लोकतंत्रवाद के एक बैरोमीटर जैसी है। महिलाएं न केवल घर पर बल्कि समाज के हर स्तर पर योगदान देने में सक्षम है। किसी भी देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए महिला और पुरुष दोनों को समान भाग लेना चाहिए और समान भाग देना चाहिए। 

 

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महिला सशक्तीकरण के प्रकार है

महिला सशक्तीकरण को मुख्य तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है। शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक। 

 

शैक्षिक सशक्तिकरण

दुनिया के हर व्यक्ति को शिक्षित होना जरूरी है, क्योकि वह आत्म-विश्वास, आत्म-सम्मान और आत्म-निर्भरता पैदा करती है। एक पुरुष व्यक्तिगत रूप से साक्षर है तो वह सिर्फ अकेला शिक्षित है, लेकिन अगर एक महिला शिक्षित है तो उसका पूरा परिवार शिक्षित होता है। शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति से महिलाएँ अपनी ज़िंदगी की कई समस्याओं को दूर कर सकती है।

अगर महिलाओ को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा मिले तो वह अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जान सकेंगी।इसके साथ-साथ उनको कानूनी सहायता भी मिलनी चाहिये ताकि वे बिना पैसा खर्च किए भी अपना मुक़दमा लड़ सकें। एक शिक्षित महिला निर्णय लेने और नीति निर्माण के विभिन्न कार्या में भाग लेने में सक्षम होगी। 

 

आर्थिक सशक्तिकरण 

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास एक आवश्यक शर्त है। अगर महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं रहेंगी तो महिलाओं के लिए अन्य अधिकार अर्थहीन है। लेकिन भारत में SEWA (सेल्फ एम्प्लॉयड वुमन एसोसिएशन) नाम की संस्था महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए आवाज उठाती है। महिलाओं की आर्थिक जरूरतों में घर, कपड़े, दवा, शुद्ध पानी और कुछ पैसे जैसी प्राथमिक आवश्यकताएं शामिल है।

 

राजनीतिक सशक्तिकरण

शासन के सभी स्तरों पर महिलाओं की समान भागीदारी को राजनीतिक सशक्तिकरण कहा जाता है। हमें  राजनीतिक सत्ता से वंचित, उत्पीड़ित और शक्तिहीन महिला को निर्णय लेनेवाली महिला, सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से लाभ लेने वाली महिला बनाना है। क्योकि राजनीतिक क्षेत्र से ही देश के विभिन्न निर्णय लिए जाते है। अब अगर उन समितियों में महिलाओं की भागीदारी होगी तो वे देश की महिलाओं को और अच्छी तरह से मदद कर सकेंगी। इसलिए महिलाओं को अधिक से अधिक राजनीति में आना चाहिए और देश में अपने विकास पर जोर देना चाहिए।

 

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महिला सशक्तीकरण क्यों महत्वपूर्ण है

महिला सशक्तिकरण कि परिभाषा के अनुसार एक आवाज उठाने वाली और मजबूत महिला है। यदि हम विकसित देशों का विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि किसी भी देश के विकास के लिए पुरुष और महिला समान रूप से सहयोग करते है। देश और समुदाय उन नीतियों से लाभान्वित होता है जो महिला सशक्तिकरण की धारणा को अपनाते है।देश के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए हमारे समाज को महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता प्राप्त करना आवश्यक है। इसके साथ-साथ कई विश्व नेताओं और विद्वानों ने बताया कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के बिना किसी भी देश का विकास असंभव है।

हमारे राष्ट्र का संविधान पुरुषों और महिलाओं के बीच बिल्कुल भेदभाव नहीं करता है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 15 कानून के तहत महिलाओं को समानता की गेरंटी दी गई है। लेकिन हमारे समाज ने महिलाओं को कई अधिकारो से वंचित किया है। हमारे देश में कुछ वर्षों तक एक महिला प्रधान मंत्री रहने के बावजूद भी देश की महिलाओं में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। 

 

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिन

सशक्तिकरण वह जगह है जहाँ महिलाओं को अपना खुद का समय और स्थान मिलता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने 8 मार्च 1975 के दिन घोषित किया कि इस दिन को हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिन के तौर पर मनाएंगे। उसके बाद से भारत और दुनिया भर में महिलाओ का महत्व मिलना शुरू हुआ।

 

निष्कर्ष

आज हमारा देश विश्व के विकासशील देशो में सुमार होता है, लेकिन इसे विकसित राष्ट्रो में शामिल करने के लिए हमें दो लिंगों के बीच, सभी प्रकार के वर्चस्व, उत्पीड़न और भेदभाव को समाप्त करना होगा। हम सबको मिलकर पुरुष और स्त्री समानता लाने के लिए बड़े कदम उठाने पड़ेंगे। इसके साथ-साथ हमें रूढ़िवादी समाजो में जागरूकता लानी होगी। उनके विचारो में एक बड़ा परिवर्तन लाना होगा। तभी हम अपने देश को विकसित बना सकेंगे। (Women empowerment in Hindi)


FAQ

Q : महिला सशक्तिकरण का क्या अर्थ है ?

ANS : महिलाओं को मजबूत बनाने की और हर चीज में पुरुषों के समान महत्व देने की यह एक प्रक्रिया है।

Q : महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य क्या है ?

ANS : महिलाओ को पुरुषो के समान अधिकार देना

Q : महिला सशक्तीकरण के कितने प्रकार है ?

ANS : 3 प्रकर है, शैक्षिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण और राजनीतिक सशक्तिकरण


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