(2022) ई-कचरा पर निबंध | E-Waste Essay in Hindi

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वर्तमान समय में हम सभी मनुष्यो के लिए कहीं भी कचरा फेंक देना सामान्य है, क्योकि हमें इस कचरे से उत्पन्न होने वाले खतरे के बारे में पता नहीं है।

परंतु आज हम हर रोज़ दैनिक समाचार में देखते है कि कहीं बाढ़ आ गई या कहीं भूकंप से लाखो लोगों की जाने गई। इन सभी कुदरती समस्याओ की मुख्य वजह कचरा ही है। इसीलिए तो कचरे को प्रकृति का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है। इसके अलावा कचरे से नयी-नयी बीमारिया उत्पन्न होती है, जो प्रतिदिन लाखो लोगो की जाने ले रही है। इस समस्या से केवल दुनिया के गरीब देश ही नहीं बल्कि विकसित देश भी जुज़ रहा है। क्योकि विश्व का सबसे विकसित देश अमेरिका भी सालाना 277 मिलियन टन से ज्यादा कचरा उत्पन्न करता है।

इसके अलावा जैसे-जैसे हम आधुनिक युग में आगे बढ़ रहे है, वैसे-वैसे ई-कचरा हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। क्योकि हमारे आस-पास इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों ने अपनी जगह बना ली है। इसकी वजह से ई-कचरा बहोत ज्यादा मात्रा में उत्पन्न हो रहा है। इसीलिए वर्तमान में ई-कचरा निपटान भी हमारे लिए एक बढ़ती समस्या है।

 

Table of Contents

ई-कचरा क्या है?

विश्व बहोत तेजी से डिजिटल बंता जा रहा है। आधुनिक युग में हमारे घर में मोबाइल फोन, टेलीविज़न, कंप्यूटर, वाशिंग मशीन, कैमरा, कूलर, एयर कंडीशनर या हीटर इन में से कोई एक उपकरण होता ही है। अब अगर इन में कोई तकनीकी समस्या आजाए तो एसे उपकरणो का कोई उपयोग नहीं रहता और उन्हे फेंक दिया जाता है। इन्ही फेंकी हुई चीज़ों को ई-कचरा कहा जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक कचरा पर निबंध

सिर्फ भारत की बात करे तो, चार में से तीन भारतीयो नागरिकों के पास आज मोबाइल फोन है। मोबाइल फोन से निकालने वाले रेडिएशन मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके अलावा जब हम बल्ब और ट्यूबलाइट जैसी चिजे उपयोग करके फेंक देते है, तब उनमें से निकलने वाले पदार्थ भी मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत  प्रभावित करते है।

ऊपर बताई गई सभी चिजे दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, क्योकि विश्व में लोगो की संख्या बढ़ रही है। इसकी वजह से भविष्य में ई-कचरे की मात्रा भी बढ़ने वाली है। इसीलिए हमें वर्तमान में ई-कचरे का प्रबंधन करना काफी जरूरी है, क्योकि तभी हम इस पर काबू पा सकेंगे।

 

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ई-कचरे का प्रभाव

इलेक्ट्रॉनिक चीजों को बनाने में प्लास्टिक और कांच के अलावा क्रोमियम, लेड, कैडमियम, आर्सेनिक और मरकरी जैसे कई खतरनाक पदार्थो का भी उपयोग किया जाता है। जब हम ई-कचरे को यू ही फेंक देते है, तब यह पदार्थ मिट्टी, हवा, और भूमिगत जल में मिलकर विष का काम करता है। जैसे कि कैडमियम का धूआं मनुष्य के फेफड़े और किडनी को बहोत गंभीर नुकसान करता है। इसके अलावा कम्प्यूटर में उपयोगी फासफोरस और मरकरी जैसे पदार्थ को जलाने से पर्यावरण का विनाश होता है।

पारा भी एक जहरीली धातु है, जिससे मछलियों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। और प्लास्टिक का तो निस्तारण करना ही बहोत कठिन है। जबकि भारत में हर रोज 15 हज़ार टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। अब एसे में अगर हमने ई-कचरे का सही प्रबंधन नहीं किया तो शायद भविष्य में हमारे बच्चो को इसकी एक बड़ी कीमत चुकानी पड सकती है।

 

देश में तेजी से पैदा हो रहा ई–कचरा

जब से आईटीउद्योग में उछाल आया है, तब से भारत और विश्व में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक 2004 में भारत में ई-कचरे की मात्रा 1,46,800 टन थी, जो 2012 मे बढ़ कर 8 लाख टन और 2017 मे 2 मिलियन टन हो गयी थी। इन आंकड़ो को देख कर ही पता चल जाता है कि देश में कितनी तेजी से ई-कचरा फैल रहा है।

अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद भारत विश्व में सबसे ज्यादा ई-कचरा उत्पन्न करने वाला देश है। भारत में सबसे ज्यादा ई-कचरा उत्पन्न करने वाले शहरों में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद शामिल है। हम इतना ज्यादा ई-कचरा उत्पन्न करते है, लेकिन हमारे पास ई-कचरे का निपटान करने की कोई खास व्यवस्था नहीं है। इसलिए तो ई-कचरा हमारे लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। 

 

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ई-कचरे का प्रबंधन

  • ई-कचरे को सिर्फ निपटान करने से हमारी समस्या दूर नहीं होने वाली। इसको हमें सही तरीके से प्रबंधन करना होगा।
  • इसके लिए हमें ई-कचरे को सबसे पहले रिफर्बिशिंग करना होगा। रिफर्बिशिंग यानि उपयोगी ई-कचरे की मरम्मत करके उनका पुनर्निर्माण करना। इससे बहोत हद तक हम ई-कचरे का प्रबंधन कर सकते है।
  • इसके अलावा हम ग्राहक को ऑफर देकर खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापस ले सकते है। इसी कचरे को हम ई-कचरा पुन: चक्रण करने वाली कंपनीओ को बेच सकते है। जो इसको बिना प्रदूषण किए सही प्रबंधन करती है।
  • ई-कचरा एकत्र करने वाले लोगों को हम आर्थिक सहाय देकर प्रोत्साहित कर सकते है। इससे और भी लोग प्रोत्साहित होकर कचरे को इधर-उधर नहीं फेकेंगे। इस तरह जमा हुए कचरे को हमारी नगरपालिकाए बेहतर निष्पादन कर सकती है।

 

ई-कचरे की निपटान समस्या

भारत में उत्पन्न होने वाले कुल ई-कचरे में से सिर्फ 2.5% प्रतिशत ही हम पुनःचक्रित कर पाते है। यहा हम खुद हमारे देश के ई-कचरे से निपट नहीं पा रहे, ऊपर से विकसित देश ई-कचरे का पुनर्चक्रण करने के लिए एशिया और अफ्रीका के गरीब देशो में ई-कचरा भेज देते है। जैसे कि अमेरिका देश अपना 80 प्रतिशत ई-कचरा हमारे जैसे देशो में भेज देता है।

भारत में ई-कचरे का निपटान करने के लिए कोई खास व्यवस्था भी नहीं है, जिससे हमें और भी नुकसान होता है। बाहर से आ रहे ई-कचरे पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार ने कचरा प्रबंधन और निगरानी कानून 1989 बनाया था। परंतु कुछ लोगो ने इसकी अवहेलना करके ई-कचरे की आयात जारी रखी। जिसकी वजह से आज हमारे देश पर प्रदूषण का एक गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

 

ई-कचरा प्रबंधन नियम

ई-कचरे की बढ़ती मात्रा को देख भारत सरकार ने अक्तूबर 2016 मे ई-कचरा प्रबंधन नियम बनाया था। यह नियम उत्पादनकर्त्ता, उपभोक्ता, अपशिष्ट संग्रहकर्त्ता आदि सभी लोगो पर लागू होगा। इसके अलावा उत्पादनकर्त्ता को कुछ नियमों में रह कर अपना उत्पादन करना पड़ेगा। अगर वह इन नियमों का उल्लंघन करते है, तो उन्हे दंड का प्रावधान भी किया जाएगा। इस नियम के तहत श्रमिकों को ई-कचरा निपटान के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की रहेगी।

इसमे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बनाए जाएंगे। इनको यह अधिकार दिया जाएगा कि पुनर्चक्रण एजेंसियाँ की जांच करे की वह नियमों का पालन कर रही है या नहीं। इसके अलावा और भी कई चीज़ों को ई-कचरा प्रबंधन नियम में शामिल की गई है। अगर हम सभी भारतीय नागरिकों ने इस नियम को अपना लिया तो शायद हम आने वाले कुछ सालो में ई-कचरे का निपटान जरूर कर देंगे।

 

निष्कर्ष

इतना सब कुछ जानने के बाद शायद अब आप लोग ई-कचरे से उत्पन्न होने वाले खतरों से परिचित हो गए होंगे। इसी वजह से अब हमें ही लोगो को ई-कचरे के बारे जागरूक करना होना। क्योकि हमारी सरकार भी तब तक कुछ नहीं कर सकती, जब तक हम खुद उनका साथ ना दे। और अगर हम ऐसे ही चलते रहे तो हमारे आने वाले बच्चो को इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसलिए आज ही से ई-कचरे का प्रबंधन करना शुरू करदे और लोगो को भी इसके बारे में जागरूक करे।


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FAQ

Q : ई-कचरा क्या है ?

ANS : आज हमारे घर में मोबाइल फोन, TV, कंप्यूटर, वाशिंग मशीन, कैमरा, कूलर या एयर कंडीशनर में से कोई एक उपकरण होता ही है। जब इनमें कोई तकनीकी समस्या आजाए तो हम ऐसे उपकरणो का उपयोग नहीं करते और उन्हे फेंक देते है। इन फेंकी गई चीजों को ही ई-कचरा कहा जाता है।

Q : भारत में ई-कचरे की मात्रा कितनी है ?

ANS : कुछ रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में ई-कचरे की मात्रा 2 मिलियन टन से भी ज्यादा है।

Q : कचरे पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार ने कौन सा कानून बनाया है ?

ANS : कचरा प्रबंधन और निगरानी कानून 1989


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