दोस्तो, आज हम शिक्षा का महत्व पर निबंध (shiksha ka mahatva) को विस्तृत मे जानेगे । यह निबंध आपको स्कूल के हर क्लास ओर कॉलेज मे काम आने वाला है ।
हम इस निबंध मे जानेगे की आखिर शिक्षा का क्या महत्व है ?
और क्यो एसा कहा जाता है की, एक विकसित और एक विकाशशील देश के बीच शिक्षा की ही दीवार होती है ? इसको भी हम समजेगे ।
हम पर भरोसा करें, शिक्षा का महत्व पर निबंध को पढ़ने के बाद शायद ही आपके मनमे इसके बारे मे कोई संदेह रहेगा ।
तो चलिए शुरू करते है ।
Table of Contents
Shiksha Ka Mahatva Par Nibandh- शिक्षा का महत्व पर निबंध
प्रस्तावना :-
दुनिया की किसी भी चीज़ को सीखने की और उसका ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया यानि शिक्षा ।
शिक्षा समाज को मूल्य और नैतिकता सिखाती है । और समाज को सुचारू और स्थिर रखने के लिए भी शिक्षा बहोत जरूरी है ।
अमेरिका के एक रिपोर्ट से पता चला की, किसी भी व्यक्ति की आर्थिक और सामाजिक स्थिति उसकी शिक्षा पर 80 प्रतिशत निर्भर करती है ।
इसीलिए तो शिक्षा को जीवन में सफल होने की शानदार कुंजी कहा जाता है ।
शिक्षा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने मे मदद करती है । इसी कारण आज जहा ज्यादा शिक्षित व्यक्ति होंगे वहा की अर्थव्यवस्था भी बहोत मजबूत होगी ।
शिक्षित व्यक्ति को घर, परिवार और समाज मे एक सम्मान के साथ देखा जाता है । इसीलिए आज हमे अपनी आने वाली पेढ़ी को शिक्षा देनी बहोत जरूरी है ।
शिक्षा क्या है ?
आपको लगता होगा की सिर्फ स्कूल मे जाकर इतिहास, राजनीति, गणित, मनोविज्ञान जैसे कई विषयों की पढ़ाई करना उसे शिक्षा कहते है । लेकिन आप गलत हो ।
शिक्षा को साधारण भाषा मे समजे तो, दुनिया के किसी भी क्षेत्र में काम करने के लिए उस क्षेत्र का हमे पहले ज्ञान प्राप्त करना पड़ता है, उसे ही शिक्षा कहते है ।
फिर चाहे वो डॉक्टर बनने की पढ़ाई या किसी गैराज मे काम सीखना ही क्यो न हो ।
मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास, धैर्य, संयम, बहादुरी और वीरता जैसे कई गुण शिक्षा ही सीखा सकती है । शिक्षा हमारे युवाओं के व्यक्तित्व को आकार देती है ।
शिक्षा एक एसा सुंदर शब्द है, जो एक कली मे से सुंदर फूल बनाता है । और एक छोटे बच्चे मे से नेता, डॉक्टर और कलेक्टर जैसा व्यक्ति बनाता है ।
अगर विश्व मे हमे शिक्षा का सबसे अच्छा उदाहरण देखना हो तो हम सिंगापुर को देख सकते है ।
कई सालो पहले सिंगापुर देश की गणना गरीब और विकासशील मे की जाती थी । लेकिन जब से सिंगापूर ने शिक्षा का हाथ पकड़ा तब से उसका पूरा नक्शा ही बदल गिया ।
आज सिंगापूर विकसीत देशो को पछाड़ के अमेरिका और चीन जैसे देशो से मुकाबला कर रहा है । इसे कहते है शिक्षा की शक्ति ।
इसीलिए आपकी अच्छी और बुरी शिक्षा आपका और आपके देश का भविष्य तय करती है ।
तो क्या आप अपना और अपने देश का भविष्य उज्ज्वल और चमकदार करना चाहते है या नहीं ? (कमेंट मे जवाब जरूर दे)
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शिक्षा के प्रकार :-
वैसे देखा जाय तो शिक्षा के कई प्रकार है । अगर हम उन सभी को यहा पर जानेगे तो शायद यह निबंध पाँच हज़ार से भी ज्यादा शब्दो का हो जाएगा ।
इसीलिए यहा हम शिक्षा के मुख्य दो प्रकार को जानेगे । औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा ।
औपचारिक शिक्षा :
(औपचारिक शिक्षा पर निबंध के लिए भी आप इसे उपयोग कर सकते हो)
जो शिक्षा स्कूल मे दी जाती है, उसे औपचारिक शिक्षा कहते है । यह शिक्षा आमतौर पर ज़िंदगी की बुनियादी चीज़ों को सीखने के लिए स्कूल के परिसर मे दी जाती है ।
इसमे शिक्षक विध्यार्थीयो को सामने बैठकर एक कक्षा मे पढ़ाता है । इसीलिए औपचारिक शिक्षा को वास्तविक शिक्षा भी कहा जाता है ।
औपचारिक शिक्षा की अच्छी बात यह है की, वो छात्रों को उनके स्तर और रुचि के अनुसार शिक्षा प्रदान करती है ।
इसमे हमे किसी स्कूल मे हर रोज़ जाकर विभिन्न विषयों का आभ्यास करना पड़ता है, और अंत मे परीक्षा देकर पास होना पड़ता है ।
पास होने का प्रमाणपत्र या डिग्री उसी स्कूल से हमको दी जाती है । उसके बाद ही हम आगे की कक्षा मे जा सकते है । (shiksha ka mahatva)
यह शिक्षा के लिए हमे निर्धारित शुल्क(फीस) का भुगतान नियमित रूप से करना होता है ।
औपचारिक शिक्षा से छात्रो को अनुभवी शिक्षको द्वारा व्यवस्थित पद्धति से सीखने मिलता है । स्कूल मे उन्हे हमारी सांस्कृति और मूल्यों का ज्ञान भी मिलता है ।
लेकिन औपचारिक शिक्षा के कारण कभी-कभी शैक्षणिक सत्र बहोत लंबे हो जाते है । जिसके कारण छात्रो को पढ़ाई बोरिंग और उबाऊ लगने लगती है ।
स्कूल मे विध्यार्थी दो तरह के होते है, अच्छी आदते वाले और बुरी आदते वाले । जिसके कारण हमे लाभ और नुकसान दोनों होता है ।
क्योकि अच्छी आदते वाले छात्रो के अंदर कभी बुरी आदते आ जाती है, इससे औपचारिक शिक्षा नुकसान करती है ।
लेकिन बुरी आदते वाले छात्रो के अंदर कभी-कभी अच्छी आदते भी आ जाती है, यह औपचारिक शिक्षा का लाभ है । लेकिन इसमे बुरी आदते ज्यादा अपनाई जाती है ।
औपचारिक शिक्षा को शिक्षा के अन्य रूपों की तुलना में महंगी और कठोर मानी जाती है ।
अनौपचारिक शिक्षा :-
अनौपचारिक शिक्षा को जानने से पहले आपके मनमे यह प्रश्न जरूर आया होगा की, औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा मे क्या अंतर है ?
यू समज लों की अनौपचारिक शिक्षा, औपचारिक शिक्षा से बिल्कुल विरुद्ध है ।
औपचारिक शिक्षा मे जहा स्कूल मे रहकर शिक्षा ली जाती है, जबकि अनौपचारिक शिक्षा मे स्कूल से दूर रहकर भी शिक्षा ली जाती है ।
औपचारिक शिक्षा मे एक अनुभवी शिक्षक द्वारा शिक्षा दी जाती है, जबकि यहा हमे खुद या किसी और व्यक्ति से सीखना पड़ता है ।
जैसे की, एक माँ अपनी बेटी को खाना बनाना सिखाये या बाप अपने बेटे को साइकिल की सवारी । ये दोनों चीज़ों को आप अनौपचारिक शिक्षा मान सकते हो ।
इसके अलावा भी लोग पुस्तकालय या शैक्षिक वेबसाइटों से पढ़कर ज्ञान ले, उसे भी हम अनौपचारिक शिक्षा कह सकते है ।
जब आप कुछ सीखने के लिए किसी स्कूल या किसी विशेष शिक्षण पद्धति का उपयोग नहीं करते, उसे अनौपचारिक शिक्षा कहते है । जैसे ब्लॉगिंग, कंटैंट राइटिंग आदि ।
औपचारिक शिक्षा मे एक समय अवधि होती है, परंतु अनौपचारिक शिक्षा मे समय की कोई अवधि ही नहीं है । (shiksha ka mahatva)
जब आप जन्म लेते हो तभी से आपके लिए अनौपचारिक शिक्षा शुरू हो जाति है । और जब तक आपकी मृत्यु नहीं हो जाती तब तक यह शिक्षा आपको अनौपचारिक शिक्षा मिलती रहती है ।
इस शिक्षा को हम कही भी और किसी भी समय सीख सकते है । इसकी कोई समय मर्यादा भी नहीं है । और किसी और व्यक्ति को काम पर रखने की कोई आवश्यकता नही है ।
क्योंकि वर्तमान मे आप सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से किसी भी क्षेत्र का बहुमूल्य ज्ञान प्राप्त कर सकते है, जैसे की आज you tube ।
इसमे कोई शुल्क की आवश्यकता नहीं है । क्योंकि हम दैनिक अनुभव के माध्यम से भी कई नई चीजें सीखकर अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त कर सकते है ।
इसमे कोई डिग्री या प्रमाणपत्र नही मिलता जिसके कारण हमे फेल होने का भी कोई डर नहीं होता ।
हम इंटरनेट, सोशल मीडिया, दोस्त और परिवार के सदस्यों से अनौपचारिक शिक्षा तो ले सकते है । लेकिन अगर उसमे कोई गलत लत लग जाए तो जीवन को घाटे मे जाने से कोई रोक नहीं सकता ।
जैसे की सोशल मीडिया पर अगर आपको कोई जीवन साथी मिल जाए तो आपका पूरा ध्यान उसकी तरफ चला जाता है । और आप जिस काम के लिए आए वो तो हुआ ही नहीं ।
आपको खुद उचित समय मे ज्ञान लेना होगा, क्योकी आप पर अनौपचारिक शिक्षा का कोई दबाव नहीं होता ।
इसके अलावा गैर-औपचारिक शिक्षा को शिक्षा का तीसरा प्रकार माना जाता है । लेकिन कई लोग इसे अनौपचारिक शिक्षा का ही भाग मानते है ।
कई जगहो पर बॉय स्काउट्स और गर्ल्स गाइड्स , तैराकी और साइकल रेस जैसे खेलो का आयोजन किया जाता है । यह सभी कार्यक्रम गैर-औपचारिक शिक्षा के अंतर्गत आते है ।
इसमे समय और पाठ्यक्रम लोगो द्वारा आयोजीत होते है । यह व्यावहारिक और व्यावसायिक शिक्षा है ।
इसकी सबसे अच्छी बात यह है की, गैर-औपचारिक शिक्षा की कोई आयु सीमा नहीं है । इसमे व्यवस्था और संशोधन के लिए कभी इंतजार करना नहीं पड़ता । (shiksha ka mahatva)
इसमे ना कोई परीक्षा आयोजित करने की कोई आवश्यकता और ना ही पास होने का कोई प्रमाण पत्र ।
लेकिन इसमे कोई प्रतिभागियों की उपस्थिति नहीं होती, इसलिए छात्रो के अंदर पढ़ाई का जुनून बहोत कम रहता है ।
लेकिन फिर भी जो बच्चे सीखना चाहते है, वो तो हर परिस्थिति मे शिक्षा प्राप्त करके ही रहते है ।
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
वर्तमान मे कई लोग सोचते होंगे की, आखिर शिक्षा हमे क्या देती है ? और अक्सर बच्चो को तो यही लगता है की, शिक्षा तो हमारे लिए एक बोज समान है ।
लेकिन उन प्यारे बच्चो को कोन बताए की, शिक्षा ही तुम्हारा भविष्य है । आने वाली ज़िंदगी मे आप कितने सफल रहेंगे यह शिक्षा पर निर्भर करता है ।
अगर उनको एक बार कलेक्टर और कंडक्टर के बीच का अंतर पता चल जाए, तो शायद कोई भी विध्यार्थी शिक्षा को एक बोज नहीं समजेगा ।
और आधुनिक युग मे तो लोगो ने शिक्षा का उद्देश्य ही कुछ और बना लिया है ।
शिक्षा को सिर्फ तथ्यों का ज्ञान बना दिया है । जो ज्यादा तथ्यो को याद करके पहला नंबर लादे, उसे आज के जमाने मे सबसे शिक्षित व्यक्ति माना जाता है । (shiksha ka mahatva)
जबकि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मनुष्यो के अंदर अच्छे और आकर्षक गुणों का विकास करना था ।
जैसे एक मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास और आत्म-नियंत्रण को विकसित करना, उसे अंधविश्वास और अज्ञानता से मुक्त करना और उन्हें सही ज्ञान देकर देश का वफादार और सच्चा नागरिक बनने में मदद करना आदि गुण शामिल है ।
शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है । और उसका शारीरिक और मानसिक विकास बड़ी तेजी से करती है ।
शिक्षा प्रेम और अहिंसा के साथ देश और समाज की प्रगति करना सिखाती है ।
लेकिन आज कई लोग शिक्षा को धार्मिक बना रहे है । वो सिर्फ अपने धर्म के सिवाय किसी और विषय की शिक्षा लेने ही नहीं देते ।
इसीलिए जॉन लोके नामक एक तत्वज्ञानी ने कई सालो पहले शिक्षा का उदेश्य समजाते हुए कहा था की, शिक्षा को धार्मिक होने के बजाय धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए ।
इसके साथ उन्होने यह भी कहा था की, शिक्षा को अनुशासन का लक्ष्य बनाना चाहिए ।
क्योकि आधुनिक युग मे कई माता-पिता अपने स्वयं के बच्चो का नियंत्रण खो चुके है । उसके बाद उन्हे बहोत पछतावा होता है, लेकिन अब पछतावे क्या होत, जब चिड़िया चुग गई खेत ।
इसीलिए कहा जाता है की, बच्चो को शिक्षा दो । क्योकि शिक्षा व्यक्ति को स्वतंत्र बनाती है । जिसके कारण व्यक्ति दूसरों पर निर्भर नहीं रहता । (shiksha ka mahatva)
अगर आपके पास शिक्षा है तो आप समाज और देश के विकास के लिए निचले वर्ग पर खड़े होकर भी एक बड़ा बदलाव ला सकता हो ।
निष्कर्ष :-
तो अब आपको पता चल गया होगा की, आखिर शिक्षा किसी भी देश, समाज और व्यक्ति के लिए क्या महत्व रखती है ? और क्यो एक सामान्य व्यक्ति के लिए शिक्षा जरूरी है ?
लेकिन हमारे देश की वर्तमान हालत देखते हुए हमे शिक्षा को एक नई दिशा देने की जरूरत है । क्योकि हमारे यहा लोग पैसा कमाने के लिए शिक्षा प्राप्त करते है ।
लेकिन अगर हम अच्छे से शिक्षा प्राप्त करेंगे और वो सारी काबिलीयत रखेंगे जो एक सफल व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए तब पैसा, धन, दोलत आपकी पूंछ बन कर आपके पीछे भागेगा । इसीलिए जीवन मे ज्यादा-से-ज्यादा अपनी शिक्षा पर ध्यान दे ।
और आखिर मे आपसे पूछना चाहता हु की, क्या अब आप अपनी शिक्षा पर ध्यान देंगे या नहीं ? इसका जवाब कमेंट मे जरूर दे ।
और आपको यह शिक्षा का महत्व पर निबंध (shiksha ka mahatva) कैसा लगा ?
हमने पूरी कोशिस की है, ताकि आपको सरल ओर साधारण भाषा मे shiksha ka mahatva par nibandh दे सके ।
लेकीन फिर भी आपको कोई समस्या हो तो आप हमे email जरूर करे । आपको और भी किसी विषय पर निबंध चाहिए तो कॉमेंट मे जरूर बताए ।
और अगर आपको लगता है की हमारे आस-पास कोई एसा व्यक्ति है, जो शिक्षा मे बहोत लापरवाह है तो इस निबंध को उस व्यक्ति तक जरूर पहुचाए । (please share)
Thanks for reading shiksha ka mahatva
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