(2022) शिक्षा का महत्व पर निबंध- Shiksha Ka Mahatva par nibandh

(शिक्षा का महत्व पर निबंध, शिक्षा का हमारे जीवन में क्या महत्व है, आधुनिक युग में शिक्षा, शिक्षा के प्रकार, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य)

 

किसी ने क्या खूब लिखा है कि, शिक्षा जीवन में सफल होने की एक शानदार कुंजी है। इसलिए हमें अपने बच्चो को एक अच्छी शिक्षा देनी बहुत जरूरी है।

शिक्षा यानि दुनिया की किसी भी चीज़ को सीखने की और उसका ज्ञान प्राप्त करने की एक प्रक्रिया। शिक्षा हमें नैतिकता और सदाचार सिखाती है, इसलिए किसी भी देश और समाज को सुचारू और स्थिर रखने के लिए शिक्षा आवश्यक है। जिस देश में ज्यादा शिक्षित लोग होंगे उस देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। अमेरिका में की गई एक रिपोर्ट से पता चला है कि किसी भी व्यक्ति की आर्थिक और सामाजिक स्थिति ज्यादातर उसकी शिक्षा पर निर्भर करती है। इसके साथ-साथ शिक्षित व्यक्ति को घर, परिवार और समाज में सम्मान के साथ देखा जाता है।

 

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शिक्षा क्या है

बहुत से लोग सोचते होंगे कि शिक्षा यानि स्कूल में जाकर इतिहास, राजनीति, गणित और मनोविज्ञान जैसे कई विषयों की पढ़ाई करना। लेकिन सिर्फ यही शिक्षा नहीं है। अगर हम दुनिया के किसी भी क्षेत्र में काम करने के लिए जाए और उसका हम ज्ञान प्राप्त करे उसे भी शिक्षा कहा जाता है। फिर चाहे डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई करनी हो या गैरेज में काम सीखना हो। यह दोनों अपने-अपने क्षेत्र में शिक्षा ले रहे है।

 

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शिक्षा का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

शिक्षा एक एसा सुंदर शब्द है, जो एक कली में से सुंदर फूल और एक छोटे बच्चे में से नेता, डॉक्टर और कलेक्टर जैसा बड़ा व्यक्ति बनाता है। शिक्षा मनुष्य को आत्मविश्वास, धैर्य, संयम, बहादुरी और वीरता जैसे कई महत्व के गुण सिखाती है । इन सभी गुणो की वजह से ही हमारा व्यक्तित्व निखरता है।

इसके अलावा हमारी अच्छी और बुरी शिक्षा हमारा और हमारे देश का भविष्य तय करती है। अगर हम शिक्षा को सिंगापुर देश के उदाहरण से समझें, तो कुछ सालो पहले सिंगापुर की गणना गरीब और पछात देशों में की जाती थी। लेकिन सिंगापूर ने शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया। और जब से सिंगापूर ने शिक्षा को अच्छे से अपनाया तब से उसका पूरा नक्शा ही बदल गिया। आज सिंगापुर इतना शक्तिशाली हो गया है कि वह अमेरिका और चीन जैसे देशों को टक्कर दे सकता है। यह शक्ति है, शिक्षा में।

इसीलिए तो कहा जाता है कि, एक विकसित और एक विकाशशील देश के बीच सिर्फ शिक्षा की दीवार ही होती है। यदि कोई विकासशील देश उस दीवार को पार कर जाए तो वह विकसित बन जाएंगा और विकसित देश अगर उस दीवार से पीछे आ जाए तो वह विकाशशील देश बन जाएंगा। तो क्या आप अपने देश को विकसित बनाना चाहेंगे या नहीं।  अगर चाहते है, तो आज ही से शिक्षा को महत्व देना शुरू कर दें।

 

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आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व  

प्राचीन शिक्षा में समय के साथ परिवर्तन आने लगा और धीरे-धीरे शिक्षा का महत्व बढ़ने लगा। अब शिक्षा विश्व के सभी देशों की प्रगति का आधार बनती जा रही थी। लेकिन आधुनिक युग में आते-आते शिक्षा का एक अलग ही महत्व हो गया। आज के आधुनिक युग में सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना ही काफी नहीं है, हमें व्यावहारिक और औद्योगिकरण की शिक्षा लेनी भी जरूरी है। क्योंकि वर्तमान समय में मशीनीकरण बहुत तेजी से फैल रहा है। परंतु इसकी वजह से लोग बेरोजगार बनते जा रहे है।

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लेकिन शिक्षित व्यक्ति कभी बेरोज़गार नहीं होता। क्योकि शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनना सिखाती है। इसलिए वर्तमान में दुनिया के किसी भी मनुष्य को अगर अपना जीवन सुखमय बनाना है, तो उसे शिक्षा लेनी ही पड़ेगी। क्योकि शिक्षा ही हमारी परिस्थिति में बदलाव ला सकती है। आधुनिक युग में पढ़े-लिखे लोगों को बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता है। इन सभी चीज़ों को देखते हुए, आधुनिक युग में शिक्षा बहुत आवश्यक और जरूरी है।

 

शिक्षा के प्रकार

शिक्षा के मुख्य दो प्रकार है। औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा।

 

औपचारिक शिक्षा 

जो शिक्षा स्कूल में दी जाती है, उसे औपचारिक शिक्षा कहते है। इसमें शिक्षक छात्रों के सामने बैठकर एक कक्षा में पढ़ाता है। इसलिए इसे वास्तविक शिक्षा भी कहा जाता है।

औपचारिक शिक्षा में छात्रों को उनकी रुचि अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती है। इसमें छात्रों को प्रतिदिन स्कूल जाकर विभिन्न विषयों का अभ्यास करना होता है। इसमें अनुभवी शिक्षक और व्यवस्थित पद्धति द्वारा छात्रों को शिक्षा दी जाती है। इसमें साल के अंत में एक या दो बार परीक्षा का आयोजन किया जाता है, जिसमें पास होने के बाद छात्र को स्कूल या कोई संस्था द्वारा पास होने का प्रमाणपत्र या डिग्री दी जाती है। उसके बाद ही हम आगे की कक्षा में जा सकते है । 

लेकिन औपचारिक शिक्षा के कुछ नुकसान भी है, जैसे कि औपचारिक शिक्षा के कारण कभी-कभी शैक्षणिक सत्र बहुत लंबे हो जाते है। इसकी वजह से छात्रों को पढ़ाई बोरिंग लगने लगती है। इसके अलावा औपचारिक शिक्षा थोड़ी महंगी और कठोर भी है। लेकिन अगर औपचारिक शिक्षा को हर तरफ से देखा जाए तो इसके नुकसान कम और फायदे ज्यादा है।

 

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अनौपचारिक शिक्षा 

जब हम कुछ सीखने के लिए किसी स्कूल या कोई विशेष शिक्षण पद्धति का उपयोग नहीं करते है, तो इसे अनौपचारिक शिक्षा कहा जाता है। जैसे की, एक माँ अपनी बेटी को खाना बनाना सिखाये या बाप अपने बेटे को साइकिल की सवारी। ये दोनों चीज़ों को आप अनौपचारिक शिक्षा में शामिल कर सकते है। इसके अलावा भी लोग पुस्तकालय या शैक्षिक वेबसाइटों से पढ़कर ज्ञान ले, उसे भी हम अनौपचारिक शिक्षा कह सकते है।

आप जन्म से ही अनौपचारिक शिक्षा लेना शुरू कर देते है और मृत्यु तक अनौपचारिक शिक्षा लेते रहते है। इसमें समय की कोई मर्यादा नहीं है। यह शिक्षा स्कूल से दूर रहकर ली जाती है और यहां हमें खुद या किसी और व्यक्ति से सीखना पड़ता है। इसके अलावा इसमें न कोई परीक्षा ली जाती है और न ही कोई डिग्री या प्रमाणपत्र दिया जाता है। जिसकी वजह से छात्रों को फेल होने का डर नहीं होता।

परंतु अनौपचारिक शिक्षा के कुछ नुकसान भी है, जैसे की यहां पर हमें कोई योग्य मार्गदर्शक देने वाला नहीं होता। हमें खुद किसी और व्यक्ति के पास जाकर ज्ञान लेना पड़ता है। इससे हमारे अंदर आलसीपन आने की संभावना रहती है।

 

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य

शिक्षा का मुख्य उदेश्य लोगो में प्रेम और अहिंसा की भावना को जागरूक करके देश और समाज को आगे बढ़ाना है। शिक्षा दुनिया के हर इंसान का भविष्य है, क्योंकि हम अपने आने वाले जीवन में कितने सफल होंगे यह शिक्षा पर निर्भर करता है। शिक्षा मनुष्य को स्वतंत्र बनाती है, जिससे वह दूसरों पर निर्भर नहीं रहता। और एक शिक्षित व्यक्ति समाज के निचले वर्ग पर खड़े होकर भी समाज में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है ।

परंतु आज के आधुनिक युग में लोगो ने शिक्षा का उद्देश्य कुछ और ही बना लिया है। लोगो ने शिक्षा को सिर्फ तथ्यों का ज्ञान बना दिया है। एसे लोगों के अनुसार जो अधिक तथ्यो को याद करके प्रथम नंबर लाएगा, वही आज के जमाने का सबसे शिक्षित व्यक्ति कहलाएगा। 

जबकि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य तो मनुष्य के अंदर अच्छे और आकर्षक गुणों का विकास करना था। उनके अंदर आत्मविश्वास और आत्म-नियंत्रण को विकसित करना था। अंधविश्वास और अज्ञानता से लोगो को मुक्त करके देश का वफादार और सच्चा नागरिक बनाना था। इसके अलावा शिक्षा हमें अनुशासन में रहना सिखाती है। अपने बड़े-बुजुर्गो का कैसे सम्मान करना यह हमे शिक्षा सिखाती है।

एक गरीब के बच्चे को कलेक्टर सिर्फ शिक्षा ही बना सकती है। इसलिए चाहे कुछ भी हो जाए कभी अपने बच्चो को शिक्षा से वंचित न करे। क्योकि शिक्षा ही मनुष्य की परिस्थिति को बदल सकती है।

 

निष्कर्ष 

यह सब जानने के बाद शायद अब आप लोगों को पता चल ही गया होगा कि किसी भी देश, समाज और इंसान के लिए शिक्षा का क्या महत्व है? लेकिन हमारे देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए हमें शिक्षा को एक नई दिशा देने की जरूरत है। हमारे यहां लोग पैसा कमाने के लिए शिक्षा प्राप्त करते है। परंतु अगर हम अच्छे से शिक्षा प्राप्त करेंगे और वो सारी काबिलीयत रखेंगे जो एक सफल व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए तब पैसा, धन और दोलत हमारी पूंछ बन कर हमारे पीछे दौड़ेंगे। इसीलिए जीवन में ज्यादा से ज्यादा अपनी शिक्षा पर ध्यान दे।


अगर आपको इस निबंध से कुछ भी लाभ हुआ हो तो इसे Share करना न भूले । शिक्षा का महत्व पर निबंध पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद (Shiksha Ka Mahatva par nibandh)


FAQ

Q : शिक्षा क्या है ?

ANS : शिक्षा का अर्थ केवल स्कूल में जाकर इतिहास, राजनीति, गणित और मनोविज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई करना नहीं है। बल्कि दुनिया के किसी भी क्षेत्र में ज्ञान प्राप्त करने को शिक्षा कहा जाता है। चाहे वह डॉक्टर की पढ़ाई हो या गैरेज में काम सीखना हो।

Q : शिक्षा कितने प्रकार की होती है ?

ANS : शिक्षा के मुख्य दो प्रकार की होती है, औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा.

Q : शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

ANS : लोगो में प्रेम और अहिंसा की भावना को जागरूक करके देश और समाज को आगे बढ़ाना ही शिक्षा का मुख्य उदेश्य है।


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